मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने पांच सहयोगी बैंकों के उसमें विलय के प्रस्ताव की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए एक विशेष टीम का गठन किया है। इस एकीकरण के तौर तरीकों पर काम करेगी जबकि सरकार ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। इस बीच विलय प्रस्ताव का राजनीतिक विरोध बढ़ने लगा है। एक सूत्र ने बताया, 15-20 सदस्यों की टीम बनाई गई है जिसने विलय की रूपरेखा पर काम शुरू किया है। इस टीम के प्रमुख एक महाप्रबंधक हैं। टीम में कई उप महाप्रबंधक शामिल हैं। इस टीम का गठन सहायक एवं अनुषंगी विभाग के निरीक्षण में किया गया है, जिसके प्रमुख प्रबंध निदेश वी जी कन्नन हैं।
सूत्र ने कहा कि यदि सबकुछ ठीक रहा तो तीन-चार माह में यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एसबीआई के निदेशक मंडल ने पिछले महीने सरकार को अपने पांच अनुषंगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के खुद में विलय का प्रस्ताव सौंपा था। एसबीआई ने पिछले महीने अपनी बोर्ड की बैठक के बाद कहा था, विलय पर विचार विमर्श सिर्फ संभावना के स्तर पर है। सहयोगी बैंकों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी लेने को एक प्रस्ताव सरकार को सौंपा गया है। देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक आफ मैसूर और स्टेट बैंक आफ हैदराबाद शामिल हैं।
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वित्त मंत्री अरूण जेटली ने हाल में कहा था कि सरकार विलय प्रस्ताव का आकलन कर रही है और जल्द इस पर प्रतिक्रिया देगी। जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ दिल्ली में हाल में हुई बैठक के बाद कहा था, हम एसबीआई (के प्रस्ताव) को अभी देख रहे हैं। सरकार की नीति कुल मिला कर विलय-अधिग्रहण के जरिए मजबूती के पक्ष में है। मैं बजट में ही इसका संकेत दे चुका हूं। इस बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव एस सुधाकर रेड्डी ने आज कहा कि तेलंगाना विधान सभा को प्रस्ताव पारित कर स्टेटबैंक ऑफ हैदराबाद को एसबीआई में मिलाने के प्रस्ताव का विरोध करना चाहिए।