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किसानों को अब नहीं पड़ेगी पराली जलाने की जरूरत, संपूर्ण एग्री वेंचर्स लगाएगी सीएनजी बनाने वाले सयंत्र

संपूर्ण एग्री वेंचर्स ने पराली के उपयोग से बायो गैस और सीएनजी के लिए इस साल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ मिलकर 42 परियोजनाएं लगाने की योजना बनाई है।

Abhishek Shrivastava
Updated : November 21, 2017 17:45 IST
किसानों को अब नहीं पड़ेगी पराली जलाने की जरूरत, संपूर्ण एग्री वेंचर्स लगाएगी सीएनजी बनाने वाले सयंत्र
किसानों को अब नहीं पड़ेगी पराली जलाने की जरूरत, संपूर्ण एग्री वेंचर्स लगाएगी सीएनजी बनाने वाले सयंत्र

नई दिल्ली। पंजाब की कंपनी संपूर्ण एग्री वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड (एसएवीपीएल) ने पराली के उपयोग से बायो गैस और सीएनजी के लिए इस साल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ मिलकर 42 परियोजनाएं लगाने की योजना बनाई है। कंपनी ने यह पहल ऐसे समय में की है जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में धुंए व वायु प्रदूषण के लिए पंजाब-हरियाणा में कृषि अवशेष और पराली को जलाए जाने को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कंपनी की ये संयंत्र लगभग 3,000 करोड़ रुपए के निवेश से लगाए जाने की योजना है।

एसएवीपीएल के संस्थापक और निदेशक संजीव नागपाल ने बताया कि एसएवीएल पराली से सीएनजी के उत्पादन के लिए आईओसी के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके तहत इस साल 3,000 करोड़ रुपए के निवेश से 42 परियोजनाएं लगाई जाएंगी। इसमें सीएनजी वितरण के लिए बुनियादी ढांचा भी शामिल है। इसके लिए कंपनी ने आईओसी के साथ सहमति पत्र पर दस्तखत किए हैं। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने परियोजनाओं को समर्थन देने पर सहमति जताई है।

उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के अगले तीन साल में पूरा होने की संभावना है। प्रत्येक परियोजन में प्रतिदिन 70 टन पराली का उपयोग होगा। नागपाल ने कहा कि निवेश आईओसी का होगा और हम तकनीक उपलब्ध कराएंगे। कंपनी ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर यह प्रौद्योगिकी विकसित की है, जिससे पराली के उपयोग से बायोगैस का उत्पादन किया जा सकता है।

कंपनी के अनुसार इस तकनीक के जरिये 100 प्रतिशत पराली का उपयोग किया जा सकता है। कुल 10 टन पराली से 4,000 घन मीटर प्रतिदिन बायोस का उत्पादन किया जा सकता है। यह एक मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है। साथ ही पराली के प्रभावी प्रबंधन से जैव उर्वरक भी उत्पादन किया जा सकता है। कंपनी के अनुसार 2500 टन पराली के बेहतर रखरखाव से 20 रोजगार सृजित हो सकते हैं। इस हिसाब से पंजाब और हरियाणा में 3 करोड़ टन पराली का उत्पादन किया जाता है और अगर बेहतर तरीके से इसका उपयोग हो तो 3.5 लाख सीधे रोजगार तथा तीन लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किये जा सकते हैं।

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