रियाद। ग्लोबल बाजार में क्रूड की कीमतें 11 वर्षों के निचले स्तर पर है। इसके कारण दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब को भारी नुकसान हुआ है। साल 2015 में सऊदी अरब का बजट घाटा बढ़ कर रिकॉर्ड 98 अरब डॉलर पहुंच गया है। इसी घाटे से उबरने के लिए सरकार ने मंगलवार से पेट्रोल की कीमत 50 फीसदी से अधिक बढ़ाने की घोषणा की है। सऊदी में पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी से दुनिया के तमाम देशों में तेल की कीमतों में उछाल आ सकती है।
सऊदी अरब का बिगड़ा बजट
कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण दुनिया सऊदी अरब का बजट घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 98 अरब डॉलर हो गया है। शाह सलमान के शासन के पहले बजट में 162 अरब डॉलर (608 अरब रियाल) का राजस्व मिलने की बात कही गई है, जो कि उम्मीद से 15 फीसदी कम है। मौजूदा साल में खर्च 975 अरब रियाल है जो अनुमान से करीब 13 फीसदी ज्यादा है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह घाटे को पूरा करने के लिए ईंधन के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती करेगा। इसके अलावा पेट्रोल की कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है। सऊदी अरब में डीजल, बिजली और पानी की कीमतें भी बढ़ेंगी।
घट सकता है हमारा निर्यात
सस्ता क्रूड हमारे लिए भले फायदेमंद हो, लेकिन कच्चा तेल उत्पादन करने वाले देशों की कमाई घटना हमारे लिए नुकसानदायक है। मांग घटने से इन देशों को हमारा निर्यात कम हो जाएगा। भारत से आयात करने वाले देशों में सऊदी अरब पांचवें नंबर पर है। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई। मार्च 2012 में 125 डॉलर प्रति बैरल के अपने उच्चतम स्तर से घटकर अब मात्र 37.18 डॉलर प्रति बैरल रह गया है।