नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी को सत्यम घोटाला मामले में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) की ओर से झटका लगा है। सैट ने सोमवार को 7,800 करोड़ रुपए के सत्यम घोटाला मामले में प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) पर दो साल के लिए लगाई गई रोक के आदेश को खारिज कर दिया है। सेबी ने सत्यम घोटाला मामले में ऑडिटर फर्म पीडब्ल्यूसी को भारत में दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, सैट ने मामले में ऑडिट कंपनी पीडब्ल्यूसी से आंशिक तौर पर 13 करोड़ रुपए लौटाने को मंजूरी दी है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी, 2018 में पीडब्ल्यूसी को भारत में लिस्टिड कंपनियों का ऑडिट करने पर प्रतिबंध लगाया था। सेबी का आरोप था कि पीडब्ल्यूसी सत्यम के प्रबंधकों के साथ मिली हुई थी। सैट ने अपने आदेश में कहा कि सेबी के पास ऑडिट मानकों और ऑडिट सेवाओं की गुणवत्ता को देखने का कोई अधिकार नहीं है। सैट ने आगे कहा कि सेबी केवल उपचारात्मक और निवारक कार्रवाई कर सकता है वह ऑडिटर पर प्रतिबंध लगाने जैसे कठोर कदम नहीं उठा सकता।
सत्यम घोटाला जनवरी, 2009 में सामने आया था। कंपनी के प्रवर्तक रामलिंग राजू ने करोड़ों रुपए के घोटाले की बात को स्वीकारा था। मामले में सेबी द्वारा पीडब्ल्यूसी पर लगाई गई रोक को दरकिनार करते हुए सैट ने कहा कि केवल राष्ट्रीय लेखापरीक्षा निगरानी संस्था भारतीय सनदी लेखा संस्थान (आईसीएआई) ही अपने सदस्यों के मामले में कोई कार्रवाई कर सकता है। ऑडिट करने में ढिलाई बरते जाने मात्र से ही धोखाधड़ी किया जाना साबित नहीं होता है।
सैट ने अपने आदेश में कहा कि सेबी को ऑडिट की गुणवत्ता को देखने और जांचने का कोई अधिकार नहीं है। सेबी इस मामले में केवल उपचारात्मक और बचाव वाली कार्रवाई कर सकता है। उसका निर्देश न तो उपचारात्मक है और न ही बचाव वाला, बल्कि उसने दंडात्मक कार्रवाई की है। हालांकि, सैट ने कहा कि काम ठीक से नहीं करने को लेकर पीडब्ल्यूसी को दी गई 13 करोड़ रुपए की फीस को ब्याज सहित वापस लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि आठ जनवरी, 2009 को तत्कालीन सत्यम कम्प्यूटर सविर्सिज के संस्थापक और चेयरमैन बी रामलिंग राजू ने सार्वजनिक तौर पर कंपनी में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी होने की बात स्वीकार की और कंपनी के खातों में 5,000 करोड़ रुपए की हेराफेरी स्वीकार की। बाद में सेबी की जांच में यह पूरा घोटाला 7,800 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। रामलिंग राजू के कंपनी में घोटाले को स्वीकार करने के बाद सरकार ने सत्यम के निदेशक मंडल को भंग कर उसके स्थान पर नया बोर्ड बिठा दिया और कंपनी को बेचने की प्रक्रिया शुरू की। बाद में कंपनी का टेक महिन्द्रा ने अधिग्रहण कर लिया।