नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने रोहतांग स्थित अटल सुरंग के लिए 9,000 टन से अधिक इस्पात की आपूर्ति की है। कंपनी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस सुरंग का निर्माण मनाली-लेह राजमार्ग पर हर मौसम में आवाजाही की सुविधा के लिए किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को इस सुरंग का उद्घाटन करेंगे।
रोहतांग दर्रा के पास बनी इस 9.02 किलोमीटर की अटल सुरंग से मनाली और लेह के बीच 46 किलोमीटर की दूरी घट जाएगी और यात्रा समय में चार से पांच घंटे की कमी आएगी। यह दुनिया में समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनी सबसे लंबी सुरंगों में से एक है। यह सुरंग हर मौसम में मनाली और लाहौल-स्पीति के बीच आवागमन की सुविधा देगी, अन्यथा रोहतांग दर्रे पर बर्फ पड़ने से इस घाटी से छह महीने के लिए संपर्क टूट जाता है।
सेल के शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि सेल ने इस परियोजना के लिए 9,000 टन से अधिक स्टील की आपूर्ति की है। यह परियोजना में लगे कुल 15,000 टन स्टील का दो तिहाई है। कंपनी के चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि यह एक गौरवान्वित करने वाला क्षण है कि देश को मजबूत बनाने वाले वाली इस अहम परियोजना में कंपनी ने अपना योगदान दिया है।
अटल टनल के निर्माण में लगभग 3200 करोड़ रुपए का खर्च आया है। अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है और 9.02 लंबी सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है। अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है, जबकि उत्तरी पोर्टल 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है।
घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है। अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन पिछले वर्ष हो गया।
देश आत्मनिर्भर होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे में राष्ट्र की हर ढांचागत क्षेत्र की जरूरत में मजबूत इस्पात का उत्पादन करने में सेल अपना योगदान देता रहेगा।