मुंबई। मानसून के लगभग सामान्य रहने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में कृषि से आय में सामान्य वृद्धि ही होने की उम्मीद है। इसकी अहम वजह कृषि जिंसों की कीमतों में कमी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होना एवं नोटबंदी का असर है। जेएम फाइनेंशियल ने अपनी छठी वार्षिक ‘रुरल सफारी’ रिपोर्ट में कहा कि उपभोग में हालांकि मामूली वृद्धि हुई है लेकिन यह ऋण पर आधारित है। जब तक संपत्ति प्रभाव कमजोर रहेगा तब तक कोई बड़ा उपभोग नहीं दिखेगा। इसलिए पूरी ग्रामीण आय में मामूली बेहतरी ही दिखेगी, भले ही मानूसन की स्थिति लगभग सामान्य रही हो।
रिपोट में इस समस्या का मुख्य कारण कृषि जिंसों की कीमत में कमी, गैर-कृषि ग्रामीण आय में लगभग ना के बराबर वृद्धि, नकद लेनदेन को सीमित करना, बालू खनन पर रोक और जीएसटी से उत्पन्न बाधाओं को बताया है। गैर-कृषि आय कुल ग्रामीण आय का करीब दो तिहाई आपूर्ति करती है।
ब्रोकरेज आकलनकर्ता अरशद परवेज और सुहास हरिनारायण का कहना है कि बालू खनन और नकद लेनदेन पर जारी रोक और जीएसटी की बाधाओं एवं कृषि जिंसों की कम कीमत इत्यादि सभी आर्थिक गतिविधियां पहली तिमाही में सामान्य रही है। इससे पूरे वित्त वर्ष के लिए कृषि आय की वृद्धि पर एक सीमा तय होगी।
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