नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों के लगातार बढ़ रहे निवेश की वजह से भारतीय करेंसी रुपए में तेजी बनी हुई है, मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपए करीब 10 हफ्ते के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया, डॉलर का भाव घटकर 64.35 रुपए तक आ गया जो 20 सितंबर के बाद सबसे कम भाव है। रुपए में आई इस मजबूती से निर्यातकों को घाटा होने की आशंका बढ़ी है वहीं पेट्रोल और डीजल सहित आयात होने वाली हर वस्तू की कीमत कम होने की उम्मीद भी बढ़ी है।
रुपए में मजबूती के फायदे
रुपया मजबूत होने से डॉलर को खरीदने के लिए हमें पहले के मुकाबले कम रुपए देने पड़ेंगे, विदेशों से आयात होने वाली ज्यादातर वस्तुओं का भुगतान डॉलर में करना होता है, ऐसे में रुपए की मजबूती से विदेशों से आयात होने वाले हर सामान पर अब पहले के मुकाबले कम भारतीय रुपए खर्च होंगे। भारत में अधिकतर कच्चा तेल, सोना, खाने के तेल, इलेक्ट्रोनिक्स का सामान, रत्न, कोयला, ट्रांसपोर्ट से जुड़ा सामान और फर्टिलाइजर्स का होता है। रुपए की मजबूती से इन तमाम वस्तुओं और सामान के आयात पर पहले के मुकाबले कम खर्च आएगा जिससे इनकी कीमतें घटने की उम्मीद बढ़ी है।
इसी तरह विदेशों में जाकर छुट्टियां मनाना और विदेशों में पढ़ाई करने के लिए भी डॉलर में भुगतान करना पड़ता है और रुपया मजबूत होने की वजह से इनपर भी पहले के मुकाबले कम खर्च आएगा।
रुपए में मजबूती का नुकसान
जिस तरह विदेशों से आयात होने वाले सामान का भुगतान डॉलर में करना पड़ता है उसी तरह विदेशों को निर्यात होने वाले सामान की पेमेंट भी डॉलर में ही होती है, यानि विदेशों को सामान निर्यात करने के बाद निर्यातक जो डॉलर कमाकर लाएंगे उनको रुपए में बदलने पर अब पहले के मुकाबले कम रुपए मिलेंगे क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हो गया है। भारत से अधिकतर इंजीनियरिंग गुड्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, दवाओं, आईटी सेवा, चावल और समुद्री उत्पादों का निर्यात होता है। रुपया मजबूत होने से इन तमाम वस्तुओं के निर्यात पर पहले के मुकाबले अब कम कमाई होगी।