नई दिल्ली। गुरुवार के कारोबारी सत्र में रुपए की शुरुआत कमजोरी के साथ हुई है। एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 33 पैसे की कमजोरी के साथ 67.76 पर खुला है। जबकि, बुधवार को रुपए में 11 पैसे की बढ़त देखने को मिली थी। रुपए के पीछे कमजोरी की मुख्य वजह विदेशी फंड्स की घरेलू बाजार में लगातार हो रही निकासी है।
क्यों है रुपए में कमजोरी
- अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
- इस फैसले के बाद अमेरिकी डॉलर 2003 के उच्चतम स्तर 102 के पार पहुंच गया है।
- एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से अमेरिकी डॉलर और मजबूत होगा।
- इसीलिए रुपए में बड़ी कमजोरी देखने को मिल रही है।
फिलहाल नहीं है गिरावट थमने के संकेत
- मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की नीतियों पर भी करेंसी मार्केट की नजरें है।
- अगर ट्रंप कॉर्पोरेट टैक्स को घटाने और इंफ्रा सेक्टर में खर्च को बढ़ाने की अपनी नीतियों पर तेजी से आगे बढ़ने के संकेत देते हैं तो विदेशी निवेशकों का घरेलू मार्केट से आउटफ्लो काफी तेज हो सकता है।
- इसका भी रुपए पर निगेटिव असर पड़ना तय है।
70 के स्तर तक छू सकता है डॉलर
- ट्रस्टलाइन के करंसी एनालिस्ट गौरव गुप्ता के मुताबिक डॉलर में मजबूती की वजह से घरेलू करंसी पर दबाव बढ़ गया है।
- जिसकी वजह से रुपए में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली।
- गौरव गुप्ता के मुताबिक दिसंबर के महीने में कई ऐसे फैक्टर हैं जिनकी वजह से रुपए पर दबाव और बढ़ सकता है।
- गौरव गुप्ता ने अनुमान दिया है कि दिसंबर के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 70 के स्तर को छू सकता है।
- हालांकि उन्होंने कहा कि मध्यम अवधि में बेहतर संकेतों को देखते हुए रुपए में एक सीमा से ज्यादा दबाव देखने को नहीं मिलेगा।
रुपए की कमजोरी से आम आदमी पर होंगे ये असर
आयात महंगा
- रुपया कमजोर होने पर आयात महंगा होगा, क्योंकि अब हम एक डॉलर के बदले पहले से अधिक रुपए चुकाएंगे। इससे चीजों की महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।
वाहन
- देश की अधिकांश ऑटो कंपनियां किसी विदेशी पार्टनर के साथ काम करती हैं। गाड़ियों के कंपोनेंट महंगे होंगे तो वाहन भी महंगे हो जाएंगे।
इलेक्ट्रॉनिक आयटम
- इलेक्ट्रॉनिक आयटम या उनके कंपोनेंट भी विदेश से आयातित हाते हैं। ये भी महंगे हो जाते हैं।
फर्टिलाइजर
- देश के कुल फर्टिलाइजर खपत का 50-55 फीसदी हिस्सा हम आयात करते हैं। यह महंगा होगा तो किसानों के लिए दिक्कतें बढ़ेंगी।
मेडिसिन
- मेडिसिन या उनमें इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स का भी बड़े पैमाने पर आयात होता है। इससे दवाइयां महंगी होंगी, आम लोगों की दिक्कतों में इजाफा होगा।
तेल महंगा होगा
- हम अपनी जरूरत का लगभग 75 फीसदी तेल आयात करते हैं। कुछ पैसों का फर्क भी करोड़ों रुपए का भार बढ़ा देता है।
बढ़ेगी महंगाई
- तेल की कीमतों का मुद्रास्फीति से सीधा संबंध है। खासकर डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होते ही मुद्रास्फीति की दर बढ़ जाती है।
घटेगा विदेशी निवेश
- विदेशी निवेशकों के रिटर्न में कमी आती है। इससे वे देश में निवेश करने में कतराने लगते हैं। ऐसे निवेशकों को शेयर बाजार से अच्छे रिटर्न नहीं मिलते है।
रुपए में गिरावट से इनको होगा फायदा
- एनआरआई: एनआरआई विदेशों में डॉलर में कमाते हैं और जब उनके रिश्तेदार या घर वाले भारत में करेंसी एक्सचेंज करते हैं तो अधिक रुपए मिलते हैं।
- एक्सपोर्टर्स: एक्सपोर्टर को एक्सपोर्ट करने पर जो डॉलर मिलते हैं, उनका देश में एक्सचेंज होने पर उन्हें अधिक रुपए मिलते हैं।
- टूरिज्म इंडस्ट्री: रुपया गिरने से विदेशी पर्यटकों को भारत आने पर कम डॉलर खर्च करने पड़ते हैं, जिससे टूरिज्म इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता है।