नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपया 2 साल के निचले स्तर पर फिसल गया है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 23 पैसे की कमजोरी के साथ 66.80 पर खुला और देखते ही देखते 66.90 के स्तर पर आ गया, जो कि सितंबर 2013 के बाद का निचला स्तर है। फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एफआईआई) की बिकवाली और डॉलर इंडेक्स में रिकॉर्ड तेजी के कारण रुपया कमजोर हुआ है। एक्सपर्ट के मुताबिक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से डॉलर डिमांड मजबूत है, जिसके कारण रुपए में और कमजोरी देखने को मिल सकती है। कमजोर रुपए की वजह से क्रूड ऑयल से लेकर विदेशों में घूमना और पढ़ाई सब कुछ महंगा हो सकता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया और होगा कमजोर
इंडिया फॉरेक्स एडवाइजर्स के सीईओ अभिषेक गोयनका ने बताया कि शुक्रवार को डॉलर साढ़े आठ महीने के ऊंचाई पर पहुंच गया था। इसके कारण सभी एशियाई करेंसी में गिरावट देखने को मिल रही है। गोयनका ने कहा रुपए में गिरावट की प्रमुख वजह एफआईआई की बिकवाली है। नवंबर में विदेशी निवेशकों ने 7467 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची है। पिछले चार महीने में यह तीसरा महीना है जब निवेशकों ने बड़ी संख्या में अपना पैसा निकाला है। इसके अलावा महीने के अंत में तेल कंपनियों की ओर से निकली डॉलर की मांग भी रुपए पर दबाव बना रहा है। रुपए को सहारा देने के लिए आरबीआई 66.88 के आसपास डॉलर की बिकवाली की है। अभिषेक के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपया दिसंबर अंत 67.50 का स्तर छू सकता है।
कमजोर रुपए से भड़केगी महंगाई
भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पेट्रोलियम प्रोडक्ट, खाद्य तेल, दाल और बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट इंपोर्ट करते हैं। कमजोर होते रुपए से इंपोर्ट करना महंगाई हो जाएगा, जिसका खामियाजा आम लोगो को भरना पड़ सकता है। इसके अलावा विदेशों में घूमना, पढ़ना और इलाज कराना महंगा हो जाएगा। गौरतलब है कि भारत करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्ट इंपोर्ट करता है। रुपए में कमजोरी से पेट्रोलियम प्रोडक्ट का इंपोर्ट महंगा हो जाएगा। तेल कंपनियां इसकी भरपाई के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाएंगी और माल ढ़ुलाई महंगा हो जाएगा। माल ढ़ुलाई महंगा होने का मतलब है कि सब कुछ महंगा हो जाएगा।