नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी करेंसी डॉलर में आई तेजी की वजह से भारतीय करेंसी रुपए में एकतरफा गिरावट का सिलसिला बना हुआ है। गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 महीने के नए निचले स्तर तक लुढ़क गया, डॉलर का भाव बढ़कर 65.88 रुपए हो गया जो 13 मार्च के बाद सबसे अधिक भाव है, यानि 13 मार्च के बाद रुपए सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है।
रुपए में आई इस गिरावट की वजह से जहां कुछ फायदे हैं वहीं साथ में इसके नुकसान भी हैं। रुपए में कमजोरी की वजह से एक तरफ जहां निर्यात होने वाले सामान पर निर्यातकों को फायदा होगा, वहीं आयातकों को घाटा होगा और देश में आयात होने वाले सामान की कीमतें बढ़ सकती हैं।
रुपए में गिरावट के ये है घाटे
अगर आप विदेश घूमने या विदेश में पढ़ाई करने जाते हैं तो आपको वहां पर डॉलर में भुगतान करना पड़ेगा और रुपया कमजोर होने की वजह से डॉलर खरीदने के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा रुपए चुकाने पड़ेंगे। विदेशों से आयात होने वाले हर सामान के लिए भी डॉलर में भुगतान करना पड़ता है, यानि आयात होने वाले सामान के लिए भी पहले के मुकाबले ज्यादा रुपए चुकाने पड़ेंगे, भारत में कच्चा तेल, सोना, खाने के तेल और इलेक्ट्रोनिक्स का सामान ज्यादा आयात होता है। रुपए कमजोर होने की वजह से इन सभी की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है।
रुपए में गिरावट के ये हैं फायदे
जिस तरह विदेशों से सामान या सेवा आयात करने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है उसी तरह विदेशों को किसी तरह का सामान या सेवा निर्यात करने पर उसकी पेमेंट भी डॉलर में ही मिलती है। पहले भारत में एक डॉलर के बदले 65 रुपए से कम मिल रहे थे, लेकिन अब 65.88 रुपए मिल रहे हैं, यानि विदेशों को सामान या सेवा निर्यात करने पर जो भी डॉलर मिलेंगे उनको भारतीय करेंसी में बदलने पर पहले के मुकाबले ज्यादा रुपए मिलेंगे जिससे निर्यातकों को फायदा होगा। भारत से अधिकतर आईटी सेवाओं, दवाओं चावल, कपास, कपड़ा, बीफ, वैगरह का अधिक निर्यात होता है। रुपया कमजोर होने की वजह से इन सभी के निर्यात कारोबार से जुड़े लोगों को फायदा होगा।