नई दिल्ली। अमेरिकी करेंसी डॉलर में आई तेजी की वजह से भारतीय करेंसी रुपए में एकतरफा गिरावट देखी जा रही है। डॉलर का भाव बढ़कर 67 रुपए के पार चला गया है जो फरवरी 2017 के बाद सबसे अधिक भाव है। रुपए में आई इस गिरावट से मौजूदा हालात में फायदा कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहा है। कमजोर रुपए की वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका और बढ़ गई है।
रुपए की कमजोरी से यह सब वस्तुओं होंगी महंगी।
रुपए में आई कमजोरी की वजह से हर उस वस्तू और सेवा के लिए हमें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी जो विदेशो से आयात होती है। देश में सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात होता है जिससे पेट्रोल और डीजल बनता है। दूसरे नंबर पर ज्यादा आयात मोबाइल और टेलिविजन जैसे इलेक्ट्रोनिक्स के सामान का होता है। तीसरे नंबर पर सोना, चौथे पर महंगे रत्न, और पांचवें नंबर पर इलेक्ट्रिक मशीनों का ज्यादा आयात होता है। इन तमाम वस्तुओं को खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है और अब डॉलर खरीदने के लिए क्योंकी पहले से ज्यादा रुपए लगेंगे तो ऐसे में इस तरह की तमाम वस्तुओं को विदेशों से खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। इन सबके अलावा देश में खाने के तेल, कोयला, कैमिकल और कृत्रिम प्लास्टिक मैटेरियल का भी ज्यादा आयात होता है। इन सबके लिए भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इन सबके अलावा विदेश घूमना, विदेश में पढ़ाई करने जैसी सेवाएं भी महंगी होंगी।
रुपए की कमजोरी के फायदे
रुपए की कमजोरी के सिर्फ नुकसान ही नहीं है बल्कि इससे फायदे भी हैं। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार लंबे समय से निर्यात को बढ़ावा दे रही है। भारत से विदेशों को सामान निर्यात करने पर उसकी पेमेंट क्योंकी डॉलर में मिलती है। अब क्योंकि रुपया कमजोर है तो ऐसे में विदेशों से आने वाले डॉलर के देश में ज्यादा रुपए मिलेंगे। यानि निर्यात से फायदा बढ़ेगा और निर्यात आधारित इंडस्ट्री और निर्यात के लिए प्रोत्साहित होगी। भारत से सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग उपकरण, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम उत्पाद, ऑर्गैनिक और इन ऑर्गैनिक कैमिकल और दवाओं का निर्यात होता है। इन वस्तुओं से जुड़े तमाम उद्योगों को रुपए की कमजोरी से फायदा पहुंचेगा। इनके अलावा देश से चावल, मसाले, कपास और कई कृषि आधारित वस्तुओं का भी ज्यादा निर्यात होता है और कमजोर रुपए से इस तरह की वस्तुओं के तमाम निर्यातकों तक लाभ पहुंचेगा।