नई दिल्ली। अमेरिकी करेंसी डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपए में आज भारी गिरावट देखी जा रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया 100 पैसे से भी ज्यादा लुढ़क गया है। फिलहाल डॉलर का भाव 105 पैसे बढ़कर 69.88 रुपए हो गया है जो अबतक का सबसे ज्यादा भाव है और रुपए का सबसे निचला स्तर है। रुपए में कमजोरी की वजह से देश में आयात होने वाला हर वस्तु या सेवा महंगी होगी और निर्यात होने वाली हर वस्तु या सेवा के ज्यादा पैसे मिलेंगे।
इस वजह से टूटा रुपया
अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी करेंसी डॉलर में लगातार मजबूती देखी जा रही है और साथ में घरेलू स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार में भी करीब 8 महीने के निचले स्तर पर आ चुका है। इन वजहों से भारतीय करेंसी रुपए पर दबाव देखा जा रहा है। डॉलर इंडेक्स ने आज 96.52 के ऊपरी स्तर को छुआ है जो करीब 14 महीने में सबसे ऊपरी स्तर है। इसके अलावा देश के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो 3 अगस्त को खत्म हफ्ते के दौरान वह घटकर 402.70 अरब डॉलर दर्ज किया गया है जो 15 दिसंबर 2017 के बाद सबसे कम विदेशी मुद्रा है।
पेट्रोल के साथ विदेशी मोबाइल फोन और विदेशी टेलिविजन हो सकते हैं महंगे
रुपए में आई इस गिरावट की वजह डॉलर खरीदने के लिए अब ज्यादा रुपए चुकाने पड़ेंगे, ऐसे में विदेशों से आयातित हर सामान महंगा हो सकता है। भारत में विदेशों से पेट्रोल और डीजल तैयार करने के लिए कच्चे तेल का सबसे ज्यादा आयात होता है। इसके अलावा इलेक्ट्रोनिक्स के उपकरण जैसे विदेशी मोबाइल और विदेशी टेलिविजन का ज्यादा आयात होता है। तीसरे नंबर पर सोने का ज्यादा आयात किया जाता है। विदेशों में पढ़ाई और विदेश घूमने के लिए भी अब ज्यादा खर्च आएगा। यानि रुपए की कमजोरी की वजह से अब पेट्रोल और डीजल समेत, विदेशी मोबाइल, टेलिविजन, लैपटॉप और सोने की कीमतों में कमी आने की उम्मीद कम हो गई है।
निर्यातकों के लिए फायदा
क्योंकि अब डॉलर मजबूत हो गया है, ऐसे में विदेशों से डॉलर में आने वाली हर पेमेंट को घरेलू स्तर पर रुपए में बदलने पर अब ज्यादा रुपए मिलेंगे। यानि विदेशों को निर्यात होने वाली हर वस्तु या सेवा के बदले में जो पेमेंट आएगी उसपर ज्यादा फायदा होगा। भारत से आईटी सेवाओं के साथ इंजिनीयरिंग गुड्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम उत्पाद और कई कृषि आधारित उत्पादों का ज्यादा निर्यात होता है। ऐसे में रुपए में कमजोरी से इन तमाम सेक्टर को फायदा मिल सकता है।