मुंबई। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है। एशियाई करेंसी में मजबूती के बावजूद हफ्ते के पहले दिन रुपया शुरुआती कारोबार में 23 पैसे टूटकर 30 महीने के न्यूनतम स्तर 68.69 पर आ गया। इससे पहले 28 अगस्त 2013 को रुपया ऑल-टाइम लो 68.85 के स्तर पर आ गया था। इस गिरावट की प्रमुख वजह इम्पोर्टर्स की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग को माना जा रहा है। एक्सपोर्टर्स के मुताबिक एक डॉलर की कीमत 71 रुपए तक पहुंच सकती है। ऐसे में रुपए की यह गिरावट आपकी जेब पर सीधा असर डाल सकती है।
डॉलर की मांग बढ़ने से रुपए पर दबाव
फॉरेन करेंसी कारोबारियों के मुताबिक आयातकों की ओर से अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ने और विदेशी बाजारों में अन्य करेंसी के मुकाबले इसमें तेजी से रुपए पर दबाव पड़ा है। लेकिन घरेलू इक्विटी बाजार में तेजी से नुकसान पर लगाम लगी। गुरुवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 68.46 पर बंद हुआ था। प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर इंडेक्स 0.25 फीसदी की बढ़त के साथ 96.85 के आसपास कारोबार कर रहा है। आज लगभग सभी एशियाई करेंसी में तेजी देखने को मिली है। ताइवान डॉलर में 1.10 फीसदी, कोरियाई वोन में 0.32 फीसदी, इंडोनेशियाई रुपिया में 0.22 फीसदी और सिंगापुर का डॉलर भी बढ़ के साथ कारोबार करता नजर आया।
71 रुपए का हो जाएगा एक डॉलर
स्टैनचार्ट के करेंसी हेड (रेट्स एंड क्रेडिट ट्रेडिंग) एमएस गोपीकृष्णन ने कहा कि “फंडामेंटल कारणों के चलते मैं इस साल रुपए को लेकर बियरिश हूं। अब शेयर बाजार में पैसा लगाने को लेकर विदेशी निवेश सुस्त नजर आ रहे हैं। निवेशक बड़े पैमाने पर पैसा निकाल रहे हैं और जो नहीं निकाल रहे हैं वह कम से कम लगाने की तो नहीं सोंच रहे हैं। एक्सचेंज के डेटा के मुताबिक एफआईआई ने इस साल 15,629 करोड़ रुपए बाजार से निकाले है। अकेले फरवरी में विदेशी निवेशकों ने 4,500 करोड़ रुपए की बिकवाली की है। इन वजहों से डॉलर के मुकाबले रुपया 70-71 के स्तर तक फिसल सकता है।
रुपए में गिरावट का क्या होगा असर?
डॉलर के मुकाबले रुपए में आई गिरावट के कारण देश में आयात होने वाली सभी चीजें महंगी होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं, अगर आप विंटर वैकेशन में अपने परिवार के साथ विदेश यात्रा की तैयारी कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर आपके लिए रुपए की गिरावट एक चिंता की बात होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भले आपने अपनी फ्लाइट या होटल की बुकिंग करा ली हो लेकिन विदेश में होने वाले खर्चों पर आपको अतिरिक्त रुपए देने होंगे। दूसरी ओर विदेश में पढ़ने वाले बच्चों पर खर्चा रुपए की गिरावट के साथ-साथ बढ़ता जाता है। रुपए की कीमत में गिरावट आने से देश में होने वाला आयात महंगा हो जाता है। जिससे वस्तुओं के दाम बढ़ जाते हैं। अप्रत्यक्ष रुप से कमजोर रुपया महंगाई की आग को भड़काता है। मसलन रुपए की कमजोरी दालों का आयात महंगा करती है जिससे आम आदमी का मासिक खर्चा बढ़ जाता है।