नई दिल्ली। औद्योगिक संबंध, पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति तथा सामाजिक सुरक्षा संहिताओं के तहत नियमों को माह के अंत तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इससे एक अप्रैल से पहले ही चारों श्रम सुधारों को लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा। श्रम मंत्रालय ने इस साल एक अप्रैल से चार श्रम संहिताओं को एक बार में लागू करने की योजना बनायी हुई है। मंत्रालय चार केंद्रीय श्रम कानूनों को चार व्यापक संहिताओं मजदूरी, औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा तथा पेशागत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति (ओएसएच) में समाहित करने के अंतिम चरण में है।
श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘हम माह के अंत तक औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और ओएसएच संहिताओं के तहत नियमों को तैयार कर लेंगे। चारों संहिता इसके अंतर्गत नियम अधिसूचित होने के बाद लागू हो सकती हैं।’’ मंत्रालय ने पिछले साल मानसून सत्र में संसद की मंजूरी के बाद संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया जानने के लिये मजदूरी को छोड़कर संहिताओं के तहत नियमों को पिछले साल नवंबर में जारी किया था। मजदूरी संहिता को संसद ने 2019 में मंजूरी दे दी थी और नियमों को भी अंतिम रूप दे दिया गया। लेकिन मंत्रालय ने इसके क्रियान्वयन को रोक लिया क्योंकि वह चारों संहिताओं को एक साथ लागू करना चाहता है। सचिव ने यह भी कहा कि मंत्रालय राज्यों के श्रम कानूनों का अध्ययन करने के लिये जल्दी ही कानूनी सलाहकार नियुक्त करेगा ताकि उसे केंद्रीय कानूनों के अनुरूप बनाया जा सके। श्रम का विषय संविधा की समवर्ती सूची में है। अत: इस पर केंद्र के साथ-साथ राज्य भी कानून बना सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि विनिर्माण, खनन और सेवा क्षेत्रों के लिए मसौदा मॉडल स्थायी आदेश (स्टैन्डिंग आर्डर) को भी अगले महीने तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। मसौदा आदेश पर 30 दिनों के भीतर (अधिसूचना की तारीख से) प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिये 31 दिसंबर को अधिसूचित किया गया था।