नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) को अपने खर्चे चलाने के लिए जिस गुरु दक्षिणा के भरोसे रहना पड़ता है उस गुरु दक्षिणा से मिलने वाले पैसों की गिनती अभी चल रही है। RSS को इसकी स्थापना के समय जितनी गुरु दक्षिणा मिलती थी उसकी तुलना अगर मौजूदा समय में मिलने वाली गुरु दक्षिणा से की जाए तो उसमें लाखों गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
RSS की स्थापना 1925 में हुई थी और इसकी गुरु दक्षिणा का पहला कार्यक्रम 1928 में किया गया था। पहले कार्यक्रम में गुरु दक्षिणा के तौर पर सिर्फ 84.50 रुपए मिले थे। लेकिन मौजूदा समय में संघ का कार्य पूरे देश में फैला हुआ है और गुरु दक्षिणा में लाखों स्वयंसेवक हिस्सा लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि मौजूदा समय में संघ को गुरुदक्षिणा के तौर पर कई करोंड़ों रुपए आते हैं। हालांकि RSS की तरफ से गुरु दक्षिणा के आंकड़ों के बारे में कभी जानकारी नहीं दी जाती है।
लेकिन जिस संख्या में देशभर में गुरु दक्षिणा में स्वंयसेवकों की भागीदारी रहती है उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में करोड़ों रुपए आते होंगे। RSS सूत्रों के मुताबिक अकेले दिल्ली में ही पिछले साल 95,000 से ज्यादा स्वंयसेवकों ने गुरुदक्षिणा में हिस्सा लिया था। दिल्ली में होने वाली गुरूदक्षिणा के कार्यक्रमों में भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, केंद्र सरकार के कई मंत्री, कई बड़े वैज्ञानिक और फिल्म जगत की हस्तियों ने दक्षिणा की है।
RSS सूत्रों के मुताबिक देश के हर हिस्से में गुरुदक्षिणा का कार्यक्रम गुरूपूर्णिमा करीब किया जाता है। हर राज्य में गुरुदक्षिणा के कार्यक्रम 15 दिन तक चलते हैं, दिल्ली में इस साल 9 जुलाई से लेकर 24 जुलाई के दौरान गुरुदक्षिणा के कार्यक्रम होते हैं। देशभर में गुरुदक्षिणा से आने वाले पैसों का प्रबंधन RSS का व्यवस्था विभाग करता है और इस विभाग की तरफ से RSS की दूसरी इकाइयों को खर्चे बांटे जाते हैं।