नई दिल्ली: देश में पांच साल में स्पेक्ट्रम की पहली नीलामी के प्रथम दिन सोमवार को 77,146 करोड़ रुपये की बोलियां आईं। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने बोली प्रक्रिया में भाग लिया। नीलामी को मिली अच्छी प्रतिक्रिया से उत्साहित सरकार ने कहा कि यह उम्मीद से बेहतर है। हालांकि, पहले दिन 700 और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में रेडियो तरंगों के लिये कोई बोलीदाता नहीं आया। नीलामी मंगलवार को संपन्न होगी। सोमवार को शुरू नीलामी में आरक्षित या शुरुआती मूल्य पर करीब 4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के सात बैंड में करीब 2,308.80 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की पेशकश की गयी है।
दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि नीलामी के पहले दिन 77,146 करोड़ रुपये मूल्य के स्पेक्ट्रम के लिये बोलियां आयीं। लेकिन प्रीमियम 700 और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में रेडियो तरंगों के लिये कोई बोलीदाता नहीं आया। कंपनियों की तरफ से आयी बोलियां सरकार के आंतरिक अनुमान से पार कर गयी है। आंतरिक अनुमान में 45,000 करोड़ रुपये मूल्य की बोलियों का था। प्रसाद ने कहा, ‘‘आज (सोमवार) शाम छह बजे तक 77,146 करोड़ रुपये की विजेता बोलियां आयीं। चूंकि केवल तीन कंपनियां हैं, अत: स्पेक्ट्रम अदला-बदली हो रही है हमारा अनुमान था कि करीब 45,000 करोड़ रुपये की बोलियां आएंगी लेकिन यह इससे कहीं ऊपर 77,146 करोड़ रुपये रहा।’’
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार बोलीदाता के हिसाब से ब्योरा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। कुल 2,308.80 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम नीलामी के लिये रखा गया है। इसमें से अबतक 849.20 मेगाहट्र्ज के लिये बोलियां आयी हैं। बोलियां 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में आयी। बोलीदाताओं ने पहले दिन महंगे 700 मेगाहट्र्ज में कोई बोलियां नहीं लगायी। मंत्री ने कहा, ‘‘कुल 4 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिये रखा गया है। इसमें 700 मेगाहर्ट्ज, बैंड महंगा है और इसकी लागत 1.97 लाख करोड़ रुपये है।’’ उन्होंने कहा कि अगर मौजूद नीलामी में 700 मेगाहट्र्ज में बोलियां नहीं आती हैं, तो सरकार 5जी में उपयोगी इस मेगाहर्ट्ज, के बारे में निर्णय करेगी।
उल्लेखनीय है कि 2016 की नीलामी में इसकी बिक्री नहीं हो पायी थी। नीलामी के तहत स्पेक्ट्रम की पेशकश 20 साल के लिये की जा रही है। सफल बोलीदाता एक बार में पूरी बोली राशि का भुगतान कर सकते हैं या फिर दूसरा विकल्प चुन सकते हैं। दूसरे विकल्प के तहत 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिये 25 प्रतिशत या 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिये 50 प्रतिशत का भुगतान शुरू में करना होगा। शेष राशि दो साल की छूट अवधि के बाद अधिकतम 16 किस्तों में दी जा सकती है। दूसरे विकल्प के तहत सरकार को चालू वित्त वर्ष में 12,000-13,000 करोड़ रुपये तथा करीब उतनी ही राशि अगले वित्त वर्ष में मिलने की उम्मीद है।