Wednesday, November 06, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. किसानों को 65 हजार करोड़ रुपये की कमाई कराने की तैयारी, जानिए क्या है पीएम मोदी का नया मिशन

किसानों को 65 हजार करोड़ रुपये की कमाई कराने की तैयारी, जानिए क्या है पीएम मोदी का नया मिशन

भारत हर साल तकरीबन 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन करीब 70-80 लाख टन है। सरकार इस अंतर को खत्म कर आयात का खर्च किसानों को देने की योजना पर काम कर रही है। सरसों की खेती पर जोर देने से इस साल रकबा बढ़ा है और फसल अच्छी होने से उत्पादन 110 से 120 लाख टन के बीच रह सकता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: February 21, 2021 14:48 IST
खाद्य तेल आयात घटाकर...- India TV Paisa
Photo:PTI

खाद्य तेल आयात घटाकर किसानों की आय बढ़ाने की योजना 

नई दिल्ली| मोदी सरकार अब खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता कम करने को लेकर मिशन मोड में काम करने जा रही है, जिसके तहत विभिन्न स्रोतों से खाने के तेल का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ तेल की किफायती खपत के लिए जन-जागरूकता भी फैलाई जाएगी। विशेषज्ञों की मानें तो मोदी सरकार के इस नये मिशन का मकसद खाद्य तेल के मामले में न सिर्फ आत्मनिर्भरता लाना है बल्कि इसके आयात पर होने वाले खर्च का पैसा किसानों की झोली में डालना है।

कैसे होगी किसानों की 65 हजार करोड़ रुपये की कमाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की छठी गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शनिवार को इस बात का जिक्र किया कि कृषि प्रधान देश होने बावजूद भारत सालाना करीब 65,000-70,000 करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयात पर खर्च होने वाला यह पैसा देश के किसानों के खाते में जा सकता है। वहीं केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिशन की तैयारी पूरी है और आगामी वित्त वर्ष में एक अप्रैल से इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।

क्या है सरकार की योजना

भारत हर साल तकरीबन 150 लाख टन खाद्य तेल का आयात करता है, जबकि घरेलू उत्पादन करीब 70-80 लाख टन है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र कहते हैं कि देश के पूर्वी क्षेत्र में करीब 110 लाख हेक्टेयर जमीन ऐसी है जो धान की फसल लेने के बाद खाली रहती है, उसमें सरसों उगाने से इसका रकबा बढ़ सकता है। इसके अलावा, पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत में जहां पानी की कमी है वहां धान, गेहूं और गन्ना जैसी फसलों के बजाय दलहनों व तिलहनों की खेती के प्रति किसानों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। डॉ. महापात्र ने कहा कि धान और गेहूं की तरह किसानों को अगर तिलहनों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा और उच्च पैदावार देने वाले बीज उपलब्ध होंगे तो इन फसलों की खेती में उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी।

कैसे पाया जाएगा लक्ष्य

डॉ महापात्र के मुताबिक जब कोई काम मिशन मोड में होता है तो उसमें सफलता मिलने की संभावना ज्यादा होती है। न्होंने कहा कि मिशन मोड में सरसों की खेती पर जोर देने से इस साल रकबा रकबा बढ़ा है और फसल अच्छी होने से उत्पादन 110 से 120 लाख टन के बीच रह सकता है। भारत में कुल नौ तिलहनी फसलों की खेती हर साल की जाती है। इनका सालाना उत्पादन विगत चार साल से 300 लाख टन से ज्यादा हो रहा है और साल दर साल वृद्धि हो रही है। भारत सबसे ज्यादा पाम तेल आयात करता है, लेकिन देश में अब पाम की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है जोकि आत्मनिर्भरता लाने में मदद मिले।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement