नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने मंगलवार की शाम 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद कर सबको चौंका दिया। हालांकि नोट बंद करने का फैसला रातों रात नहीं लिया गया। बल्कि यह योजना छह महीने पहले बननी शुरू हुई थी। इसका मकसद सिर्फ ब्लैक मनी पर कंट्रोल नहीं, बल्कि जाली नोटों से निजात पाना भी था। द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सरकार के इस फैसले की जानकारी कुछ मुट्ठी भर लोगों को थी।
500 और 1000 रुपए के नोटों का चलन हुआ बंद, अब आपको करना होगा ये काम
इस योजना के बारे में ये छह लोग जानते थे
- छह महीने से चल रही इस योजना में सिर्फ छह लोग शामिल थे।
- इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक प्रिंसिपल सेक्रटरी नृपेंद्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गवर्नर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरुण जेटली को ही इस योजना का पता था।
- सूत्रों के मुताबिक, योजना को लागू करने की प्रक्रिया दो महीने पहले शुरू हुई।
- सूत्रों ने अखबार से बताया, हमारी कामयाबी की वजह यही है कि हम इस योजना को पर्दे के पीछे रख सके।
- हालांकि, अचानक से की गई घोषणा की वजह से हमारे सामने इस योजना को लागू करन से जुड़ी कुछ चुनौतियां आने की आशंका है।
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योजना का असली मकसद ब्लैकमनी पर लगाम लगाना है
- एक अधिकारी ने बताया कि जाली नोट ज्यादा बड़ी समस्या नहीं हैं।
- ऐसे नोट 400 से 500 करोड़ रुपए के हो सकते हैं।
- अधिकारी के मुताबिक, बाजार में चल रहे नोटों के मुकाबले, ये रकम बेहद छोटी है।
- योजना का मकसद ब्लैक मनी पर कार्रवाई है, लेकिन इसके तहत कितनी रकम छिपी हुई है, इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
- एक अन्य अधिकारी का मानना है कि इस नई कवायद की वजह से क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और चेक से पेमेंट में काफी तेजी आने वाली है।
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