नई दिल्ली। भारत सरकार ने जिस तरह से विभिन्न प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाओं के साथ घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर जोर दिया है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि देश के पास एक बेहतरीन अवसर है कि वह एक पूर्ण अर्धचालक निर्माण (एफएबी) इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की स्थापना कर सके। इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने बुधवार को यह बात कही। वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भारत की हिस्सेदारी 2012 में 1.3 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 3.6 प्रतिशत हो गई है। घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण साल 2014-15 में 1.90 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 5.34 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 23 प्रतिशत दर्ज की गई है।
हालांकि इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। एलसीना के अनुमान के अनुसार, पर्याप्त अवसंरचना की कमी, घरेलू आपूर्ति श्रृंखला और रसद बाधाओं, वित्त की उच्च लागत, गुणवत्ता की अपर्याप्त उपलब्धता, सीमित डिजाइन क्षमताओं के कारण इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण क्षेत्र लगभग 10 प्रतिशत का नुकसान झेल रहा है। कौशल विकास में अपर्याप्तता के अलावा उद्योग द्वारा अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं हो पाने से भी यह वांछित रूप से विकसित नहीं हो पा रहा है।
आईसीएईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रो ने एक बयान में कहा, ' हम भारत में एक बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं और निश्चित रूप से इसे शुरू होने में अभी भी देर नहीं हुई है। इसलिए, भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हब बनाने के लिए एफएबी एक कदम हो सकता है। यह घरेलू विनिर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात के 400 अरब डॉलर के एनपीई 2019 लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी कतार में होगा।
मोहिंद्रो ने कहा, ' 2025 तक एक अरब मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन करने का लक्ष्य है, जिसका मूल्य 190 अरब डॉलर होगा। इसमें 60 करोड़ वह मोबाइल हैंडसेट शामिल हैं, जो एक्सपोर्ट किए जाएंगे और उनकी कीमत 110 अरब डॉलर होगी। इसलिए, भारत के पास देश में पूर्ण विकसित एफएबी इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने का अवसर और क्षमता है। '
अप्रैल 2020 में सरकार ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्माण के लिए 41,000 करोड़ रुपये की उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा की थी। हाल ही में, इस योजना को 7,350 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ आईटी हार्डवेयर तक बढ़ाया गया है।
इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार भारत में सेमीकंडक्टर वेफर या डिवाइस फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना या भारत के बाहर सेमीकंडक्टर एफएबी के अधिग्रहण के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) लेकर आई है। भारत का डिस्पले पैनल बाजार लगभग 7 अरब डॉलर का है और 2025 तक इसके केवल चार वर्षों में बढ़कर 15 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
हालांकि, एक डिस्पले एफएबी निर्माण इकाई स्थापित करना एक अत्यंत पूंजी-गहन परियोजना है और 2-3 वर्षों की अवधि में लगभग 70,000-75,000 करोड़ रुपये या लगभग 10 अरब डॉलर के अनुमानित निवेश की आवश्यकता है।
मोहिंद्रू ने जोर देते हुए कहा, ' एफएबी विनिर्माण सुविधा एक पूंजी-गहन व्यवसाय है और यह दुनिया के बहुत कम भौगोलिक क्षेत्रों में मौजूद है। इसलिए, हमें एक प्रतिस्पर्धी माहौल बनाना चाहिए। हमें पानी, बिजली और पूंजी समर्थन के अलावा लॉजिस्टिक्स जैसी उचित बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के मामले में बहुत आक्रामक होने की आवश्यकता है। एक शुरूआत पहले ही घरेलू डिस्पले एफएबी विनिर्माण में हो चुकी है, क्योंकि दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज सैमसंग ने भारत में असेंबलिंग डिसप्ले के लिए पहले ही 4,825 करोड़ रुपये का निवेश किया है।