नई दिल्ली। नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा हुए कैश को बेनामी प्रॉपर्टी घोषित करने का मामला सामने आआ है। स्पेशल कोर्ट ने दिल्ली के एक बैंक के खाते में नोटबंदी के दौरान जमा हुए 15.39 करोड़ रुपए की रकम को बेनामी प्रॉपर्टी घोषित कर दिया है, कोर्ट ने जमा हुई रकम को बेनामी तब घोषित किया जब पैसा जमा कराने वाले और उसका लाभ लेने वाले के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी। नए ब्लैकमनी कानून के तहत दर्ज मामलों के तहत बेनामी प्रॉपर्टी घोषित करने के पहले 5 मामलों में यह एक मामला है।
पिछले साल नोटबंदी की घोषणा के बाद आयकर विभाग ने देशभर में बैंकों में जमा होने वाली भारी रकम के आधार पर कार्रवाई करना शुरू की थी, आयकर विभाग को पिछल साल दिसंबर में दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित कोट महिंद्रा बैंक की शाखा के एक खाते में 15.39 करोड़ रुपए कैश जमा होने की जानकारी मिली थी। आयकर विभाग ने ब्रांच का सर्वे किया और पता किया कि किसी रमेश चंद शर्मा नाम के व्यक्ति ने पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों में 15,93,39,136 रुपए जमा कराए हैं।
रमेश चंद शर्मा ने यह पैसा 3 कंपनियों के जरिए जमा कराया था जिन कंपनियों का फर्जी होने का शक था। आयकर विभाग ने पाया कि पैसा जमा किए जाने के तुरंत बाद कैश को निकलवाने के लिए कुछ लोगों के नाम पर खाते से डिमांड ड्राफ्ट जारी किए गए हैं। तुरंत कार्रवाई करते हुए आयकर विभाग ने डिमांड ड्राफ्ट को फ्रीज कर दिया और खाते में जमा रकम को भी अटैच कर दिया। जांच के दौरान न तो रमेश चंद शर्मा के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी, आयकर विभाग को रमेश चंद शर्मा की 2006-07 भरी गई एक आयकर रिटर्न के बारे में जानकारी मिली, लेकिन जो भी पता दिया गया था उसपर रमेश नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला। पूरे मामले की जांच के बाद ही इस पैसे को बेनामी प्रॉपर्टी घोषित किया गया है।