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विवाद से विश्वास योजना के तहत एक लाख करोड़ रुपये के विवादित कर मामले निपटाए गए

योजना के तहत मिल रहे आवेदनों और दिसंबर में आवेदनों में तेजी को देखते हुए सरकार ने इसकी समय सीमा एक महीने बढ़ाकर 31 जनवरी कर दी थी। योजना का लाभ उठाने वाली कंपनियां जेसे ही बकाया कर का भुगतान करती है, उनके खिलाफ लंबित मामले को वापस ले लिया जाता है

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: January 03, 2021 21:26 IST
1 लाख करोड़ रुपये के...- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

1 लाख करोड़ रुपये के टैक्स विवाद निपटे

नई दिल्ली। सरकार के साथ कर मुद्दों को लेकर कानूनी मुकदमों में उलझे करीब पांच लाख उद्यमों में से बीस प्रतिशत ने सरकार की विवाद निपटान योजना को चुना है। इससे करीब 83 हजार करोड़ रुपये की विवादित राशि से जुड़े मामलों को निपटाने में मदद मिली। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को इसकी जानकारी दी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020- 21 का बजट पेश करते हुए प्रत्यक्ष कर से जुड़े पुराने कानूनी मामलों को सुलटाने के लिये ‘विवाद से विश्वास’ योजना की घोषणा की थी। योजना के जरिये विभिन्न अपीलीय मंचों में लंबित करीब 4.8 लाख अपील के चलते अटके 9.32 लाख करोड़ रुपये के कर- राजस्व को मुक्त करने का प्रयास था।

वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘लंबित मामलों में से 96 हजार ने लंबित कानूनी मामले के निपटान की योजना का चयन किया। इन मामलों में करीब 83 हजार करोड़ रुपये का राजस्व अटका पड़ा है।’’ पांडेय ने कहा कि इस योजना के तहत मिल रहे आवेदनों और दिसंबर में आवेदनों में तेजी को देखते हुए सरकार ने इसकी समय सीमा एक महीने बढ़ाकर 31 जनवरी कर दी थी। इस योजना को अपनाने वाली कंपनियों अथवा फर्मो को उनसे मांगे गये कर का भुगतान करना है और उनके खिलाफ जारी विव़ाद को बंद कर दिया जायेगा और दंडात्मक कार्रवाई को भी छोड़ दिया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘योजना के तहत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर मांग का निपटान कर लिया गया है। यह कर मांग गलत जानकारी दर्ज होने के कारण पैदा हुई थी।’’ विवाद से विश्वास योजना का लाभ उठाने वाली कंपनियां जेसे ही बकाया कर का भुगतान करती है, उनके खिलाफ लंबित मामले को वापस ले लिया जाता है और ब्याज, जुर्माना और दंड को भी निरस्त कर दिया जाता है। ये मामले आयकर आयुक्त (अपील) और कर न्यायाधिकरणों से लेकर उच्च अदालतों और मध्यस्थता केन्द्रों तक में लंबित हैं। 

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