नई दिल्ली। हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी कंपनी रॉयल फिलिप्स ने भारत की खस्ताहाल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की तस्वीर पेश की है। रॉयल फिलिप्स ने भारत के पहले फ्यूचर हेल्थ इंडेक्स (एफएचआई) के पहले एडिशन को लांच किया। यह वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने और टिकाऊ, उद्देश्य के लिए फिट राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने की दिशा में देशों की तत्परता का निर्धारण करने में मदद करता है। इस डाटा का ध्यान टेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और हेल्थकेयर सिस्टम की दक्षता पर केंद्रित है।
लांच के अवसर पर फिलिप्स इंडिया हेल्थकेयर के अध्यक्ष रोहित साठे ने कहा, "एफएचआई अध्ययन यह पुष्टि करता है कि भारत में हॉस्पिटल बेड की कम संख्या के साथ कुशल हेल्थकेयर पेशेवरों की कमी है। यह हमें स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में टेक्नोलॉजी की भूमिका के बारे में हेल्थेकेयर पेशेवरों और लोगों की जागरूता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करता है।"
फ्यूचर हेल्थ इंडेक्स 2018 के प्रमुख परिणाम :
1. पहुंच की कमी, कम कुशल चिकित्सक संख्या और हॉस्पिटल बेड की कम संख्या के कारण, सबसे बड़ी बाधा भारत का बिलो एवरेज एसेस स्कोर प्रति 10,000 आबादी पर-29 विरुद्ध 109 औसत, कुशल हेल्थकेयर पेशेवरों की कमी के कारण है। यह सर्वे किए गए सभी 16 देशों में सबसे कम स्कोर है।
* स्कोर में अन्य बाधा कम संख्या में हॉस्पिटल बेड हैं (प्रति 10,000 जनसंख्या पर 7 विरुद्ध प्रति 10,000 पर 38 औसत), जो यह बताता है कि स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत अनिवार्य रूप से नहीं मिल सकती है।
* मेट्रो शहरों में टॉप हॉस्पिटल्स और क्लीनिक्स में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी हो सकती हैं, जबकि अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में अभी भी डिजिटल हेल्थकेयर की भरपूर संभावना है।
2. औसत से कम डाटा एनालिटिक्स स्कोर के बावजूद, भारतीय हेल्थ
3. केयर पेशेवर हेल्थकेयर में भविष्य की टेक्नोलॉजी (एआई, वर्चुअल रियल्टी आदि) के उपयोग के लिए सामान्य जनसंख्या।