नयी दिल्ली। सड़क पर ज्यादातर दुर्घटनाओं में प्रमुख कारण टायर को माना जाता है। बारिश के दौरान चिकनी सड़कों पर ग्रिप न बन पाने के कारण दुर्घटनाएं हो जाती हैं। वहीं कई बार टायर फटने से भी दुर्घटनाएं होती हैं। ऐसे में यात्री कारों और वाणिज्यिक वाहनों के टायरों को सड़कों पर सुरक्षा और ईंधन की बचत की दृष्टि से बेहतर रखने के लिए नए नियम लागू किए जाएंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने कारों, बसों और ट्रकों के टायर के लिए सड़क पर आवर्ती-घर्षण, गीली सड़क पर टायर की पकड़ और वाहन के चलते समय टायर से उत्पन्न ध्वनि के बारे में नियमों का मसौदा जारी किया है।
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शुक्रवार को जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसका उद्येश्य यह सुनिश्चित कराना है कि वाहनों के टायर अधिक भरोसे मंद और अच्छे हों। मंत्रालय ने नए माडल के टायरों के लिए इन नियमों केा 1, अक्तूबर 2021 और वर्तमान माडल के टायरों के लिए 1, अक्तूबर 2022 से लगू करने का प्रस्ताव किया है। जानकारों का कहना है कि इस पॉलिसी को लेकर अभी भी संभावनाएं हैं कि इसे कंज़्यूमर फ्रेंडली बनाया जा सके। गाड़ियों के टायर से जुड़े ऐसे नियम यूरोप में 2016 में लागू नियम जैसे ही हैं।
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मंत्रालय की ओर से एक के बाद एक कई ट्यूट में कहा गया है कि टायरों को आवर्ती घर्षण, गीली सड़क पर टायर की पकड़ और आवाज के संबंध में वाहन उद्योग के लिए मानकों की श्रृंखला (एआईएस) 142:2019 के चरण दो में विनिर्दिष्ट एवं समय समय पर संशोधित मानकों के अनुरूप होना चाहिए। इन नियमों के बारे में सुझाव और आपत्तियां सरकार को भेजी जा सकती हैं। ये नियम यूरोप में 2016 में लागू नियम जैसे ही हैं।