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कमोडिटी की बढ़ती कीमतों से 2021-22 में चालू खाते का घाटा GDP के 1.3 प्रतिशत पर पहुंचेगा: रिपोर्ट

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के असर से चालू वित्त वर्ष में घाटा 40 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 19, 2021 18:34 IST
2021-22 में चालू खाते का...- India TV Paisa
Photo:PTI

2021-22 में चालू खाते का घाटा 40 अरब डॉलर संभव- बैंक ऑफ अमेरिका

नई दिल्ली। कच्चे तेल, कोयले और धातुओं की बढ़ती कीमतों से चालू वित्त वर्ष 2021-22 में चालू खाते का घाटा (कैड) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत या 40 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। बीते वित्त वर्ष में 0.9 प्रतिशत का चालू खाते का अधिशेष (सरप्लस) रहा था। एक ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। वॉल स्ट्रीट की प्रमुख कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज (बोफा) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भुगतान संतुलन (बीओपी) की स्थिति काफी मजबूत है और इससे अमेरिकी केन्द्रीय बैंक द्वारा प्रोत्साहनों में कमी से रुपये और बांड यील्ड पर पड़ने वाले किसी भी तरह के प्रभाव से निपटा जा सकता है। बोफा की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी के दाम काफी बढ़े हैं। विशेषरूप से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इससे चालू खाते के घाटे और उसके निपटान को लेकर चिंता पैदा हुई है। 

फेडरल रिजर्व द्वारा प्रोत्साहनों में किसी तरह की संभावित कटौती से इसको लेकर आशंका और बढ़ेगी। उसने कहा,‘‘हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में कैड सकल घरेलू उत्पाद का 1.3 प्रतिशत या 40 अरब डॉलर रहेगा। पिछले वित्त वर्ष में 0.9 प्रतिशत का चालू खाते का अधिशेष था। यदि इसे जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक सीमित किया जाता है, तो यह काफी अच्छी स्थिति होगी।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वहीं दूसरी ओर पूंजी खाते का अधिशेष वित्त वर्ष के दौरान बढ़ सकता है। हालांकि, विदेशी प्रवाह कम हुआ है, लेकिन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सतत बना हुआ है।’’ जून, 2021 में समाप्त तिमाही में चालू खाते का शेष आश्चर्यजनक रूप से उम्मीद से अधिक रहा था। यह अधिशेष 6.5 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.9 प्रतिशत रहा था। इसकी प्रमुख वजह व्यापार घाटा कम होना है। इस दौरान पूंजी खाते का प्रवाह भी 25.8 अरब डॉलर रहा। इसी के अनुरूप पहली तिमाही में भुगतान संतुलन अधिशेष बढ़कर 31.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया। मार्च, 2021 में समाप्त तिमाही में यह अधिशेष 3.4 अरब डॉलर रहा था। 

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