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कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से देश का चालू खाते का घाटा बढ़ने का जोखिम, गोल्‍डमैन सैक्‍स ने जताई आशंका

आने वाले महीनों में कच्चे तेल के दाम में और वृद्धि हो सकती है और इससे भारत का चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 में इसके करीब 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: May 18, 2018 14:56 IST
crued oil- India TV Paisa

crued oil

नई दिल्ली। आने वाले महीनों में कच्चे तेल के दाम में और वृद्धि हो सकती है और इससे भारत का चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 में इसके करीब 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी गोल्डमैन सैक्‍स की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से भारत के चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़ने का जोखिम है। 

गोल्डमैन सैक्‍स ने एक शोध रिपोर्ट में कहा है कि जिंसों पर नजर रखने वाली हमारी टीम को उम्मीद है कि गर्मियों में तेल के दाम में आगे वृद्धि जारी रहेगी। हालांकि साल के अंत तक इसमें नरमी की उम्मीद है। हमने हाल ही में 2018-19 के लिए चालू खाते का घाटा (सीएडी) अनुमान को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.4 प्रतिशत कर दिया है। पहले यह 2.1 प्रतिशत था।  

उल्लेखनीय है कि कैड वर्ष 2017 की अक्‍टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़कर 2 प्रतिशत (13.7 अरब डॉलर) हो गया, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 1.4 प्रतिशत (आठ अरब डॉलर) था। वैश्विक स्तर पर ब्रेंट क्रूड का भाव कल 80 डॉलर पर पहुंच गया। नवंबर 2014 के बाद यह पहला मौका है जब तेल के भाव इतने उच्च स्तर पर पहुंचा है। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका के ईरान के साथ परमाणु समझौते से खुद को अलग करने के बाद तेल के दाम में हाल में तेजी आई है। इससे सकल मुद्रास्फीति का अनुमान को बढ़ाया गया है। हमारा अनुमान है कि कच्चे तेल के दाम में 10 प्रतिशत की वृद्धि से सकल महंगाई दर 0.1 प्रतिशत बढ़ेगी। गोल्डमैन सैक्‍स ने 2018-19 में सकल महंगाई दर औसतन 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। 

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर रुख के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक थोड़ा आक्रमक रुख अपना सकता है। इसका कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में गिरावट तथा चालू खाते के घाटे एवं राजकोषीय घाटे को लेकर चिंता है। रिजर्व बैंक छह जून को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा करने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि आरबीआई नीतिगत दर को यथावत रखेगा लेकिन उसका रुख आक्रमक हो सकता है। 

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