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Reliance ने 2035 तक शून्‍य कार्बन उत्‍सर्जन वाली कंपनी बनने का लक्ष्‍य किया तय, ईंट बनाने का काम करेगी शुरू

इस लक्ष्य को पाने के लिए कंपनी परिवहनों में इस समय इस्तेमाल होने वाले ईंधन की जगह स्वच्छ बिजली और हाइड्रोजन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करेगी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 16, 2020 8:48 IST
RIL plans to be carbon neutral by 2035- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

RIL plans to be carbon neutral by 2035

नई दिल्‍ली। दुनिया की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफाइनरी चलाने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2035 तक खुद को शून्य कार्बन उत्सर्जन वाली कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बुधवार को कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए कंपनी परिवहनों में इस समय इस्तेमाल होने वाले ईंधन की जगह स्वच्छ बिजली और हाइड्रोजन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करेगी।

तेल-दूरसंचार-खुदरा क्षेत्र में काम करने वाला रिलायंस समूह उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड को मूल्यवान रसायन और अन्य सामग्री को ईंटों में बदलने की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेगी। कंपनी गुजरात के जामनगर की रिफाइनरी में प्रतिदिन 13.6 लाख बैरल कच्चे तेल का परिशोधन करती है। यह दुनिया की पेट्रोरसायन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक है।

अंबानी ने कंपनी की 43वीं सालाना आम बैठक में कहा कि रिलायंस कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की उपयोक्ता बनी रहेगी, लेकिन वह नई प्रौद्योगिकियों को लाकर उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड को उपयोगी उत्पाद और रसायनों में बदलने का काम करेगी। अंबानी ने कहा कि कंपनी स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा के लिए हाइड्रोजन, पवन, सौर ऊर्जा और बैटरी इत्यादि के उपयुक्त सम्मिश्रण की रणनीति अपनाएगी। उन्होंने कहा इस रणनीति पर सफलता से अमल करने के बाद हमारा 2035 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त कंपनी बनने का लक्ष्य है। इस तरह हमारे पास दुनिया की अग्रणी नई ऊर्जा और सामग्री कंपनी बनने के लिए 15 साल का वक्त है।

आम रिफाइनरी में कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन बनाने के बाद 60 से 70 प्रतिशत गाद बचती है। जैसे-जैसे रिफाइनरी का आकार और पूंजी बढ़ती है, वे नई प्रौद्योगिकी पर निवेश करते हैं, जैसे पेटकोक को गैस में बदलने इत्यादि पर। इससे गाद जैसे कम मूल्य वाले कई उत्पादों को उच्च मूल्य वाले उत्पादों में बदला जा सकता है। वैश्विक स्तर पर आम रिफाइनरी करीब आठ प्रतिशत नाफ्था का उत्पादन करती हैं, जिसका उपयोग रसायनिक खाद बनाने में किया जा सकता है। रिलायंस का तेल से रसायन बनाने की दर अभी 24 प्रतिशत है और कंपनी इसे बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

 अंबानी ने कहा कि जामनगर रिफाइनरी में कार्बन डाई ऑक्साइड को उच्च मूल्य वाले प्रोटीन, औषधीय पदार्थों, आधुनिक सामग्रियों और ईंधन में बदलने के लिए फोटोसिंथेसिस बायोलॉजिकल प्रणाली बनाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति पहले ही की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि कंपनी कार्बन संग्रह और भंडारण करने वाली अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी विकसित करेगी।

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