नई दिल्ली। ONGC-रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) विवाद में सरकार ने तीन सदस्यीय पंचनिर्णय समिति के लिये सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जीएस सिंघवी का नाम दिया है। समिति RIL के खिलाफ केजी बेसिन क्षेत्र में ONGC के क्षेत्र की गैस का दोहन करने के मामले में 1.55 अरब डॉलर के मुआवजे के दावे की वैधता के बारे में फैसला करेगी।
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RIL तथा सहयोगी कंपनियों ने सरकार के खिलाफ किया था दावा
- RIL तथा उसकी सहयोगी ब्रिटेन की BP Plc तथा कनाडा की रिको रिर्सोसेस ने 1.55 अरब डॉलर की मांग को लेकर 11 नवंबर को सरकार के खिलाफ पंचनिर्णय अदालत में चुनौती देने को नोटिस दिया था।
- रिलायंस और उसकी सहयोगियों ने अपनी ओर से पंचों की समिति में ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बर्नार्ड एडर को नामित किया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा
- उन्होंने (RIL-BP-निको) ने पिछले महीने मध्यस्थ का नाम दिया और सरकार ने अब समिति के लिये सिंघवी का नाम दिया है। दोनों मध्यस्थ अब तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति में पीठासीन न्यायाधीश के बारे में फैसला करेंगे।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने 3 नवंबर को दिया था नोटिस
- पेट्रोलियम मंत्रालय ने तीन नवंबर को RIL, निको तथा ब्रिटेन की BP को 1.47 अरब डॉलर के मुआवजे का एक नोटिस दिया।
- यह नोटिस 31 मार्च 2016 को समाप्त सात साल की अवधि में बंगाल की खाड़ी में रिलायंस के केजी डी6 परियोजना क्षेत्र से लगे ONGC की परियोजना का 33.83 करोड़ इकाई – ब्रिटिश थर्मल यूनिट गैस की निकासी के खिलाफ है।
- उत्पादित गैस पर दिए गए 7.17 करोड़ डॉलर रॉयल्टी को घटाने तथा लिबोर जमा दो प्रतिशत ब्याज जोड़ने के साथ कुल 1.55 अरब डॉलरलर की मांग RIL, BP तथा निको से की गयी।
RIL केजी-डी6 ब्लाक की परिचालक है और उसकी इसमें 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं BP के पास 30 प्रतिशत तथा शेष 10 प्रतिशत हिस्सेदारी निको रिर्सोसेज के पास है। अधिकारी ने कहा कि तीनों सदस्यों के आने के साथ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।