नई दिल्ली। दुनिया भर को भारत के चावल का स्वाद काफी पसंद आ रहा है। स्थिति ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष में चावल का निर्यात 80 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। विदेशों में चावल की मांग बढ़ने से देश के किसानों को फायदा मिलने की पूरी उम्मीद है। निर्यात बढ़ने से तय है कि देश में फसल के दामों में बढ़त देखने को मिलेगी जिससे किसानो को बेहतर आय होगी।
कहां पहुंचा देश का चावल निर्यात
चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीने के दौरान निर्यात में 80 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है, वाणिज्य मंत्रालय की संस्था एपीडा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीने यानि अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान देश से 115.97 लाख टन चावल एक्सपोर्ट हुआ है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 64.30 लाख टन चावल का निर्यात हो पाया था।
क्या होगा किसनों का फायदा
चावल का निर्यात बढ़ने का असर घरेलू बाजार में धान के भाव पर पड़ सकता है, सरकार ने इस साल धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपए और 1888 रुपए रखा है और अधिकतर मंडियों में फिलहाल भाव इसी स्तर के करीब है। विदेशों में भारतीय चावल की मांग ऐसे ही बढ़ी तो किसानों को अपनी उपज की बेहतर कीमत मिलना तय है।
सरकार के द्वारा जारी धान की खरीद
सरकार ने चालू खरीफ विपणन सत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 25 जनवरी तक 1,10,130.52 करोड़ रुपये के 583.31 लाख टन धान की खरीद की थी। खरीफ विपणन सत्र अक्टूबर के महीने से शुरू होता है। केंद्र ने 25 जनवरी तक 583.31 लाख टन धान की खरीद की है, जो एक साल पहले की अवधि में 483.92 लाख टन की खरीद के मुकाबले 20.53 प्रतिशत अधिक है। सरकार के मुताबिक 1,10,130.52 करोड़ के साथ रुपये की सरकारी खरीद से लगभग 84.06 लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं।’’ धान की अब तक 583.31 लाख टन की कुल खरीद में से, पंजाब का योगदान 202.77 लाख टन है।