नई दिल्ली। मारीशस के रास्ते किए जाने वाले निवेश पर अगले साल अप्रैल से भारत में पूंजीगत लाभ कर लगना शुरू हो जाएगा। भारत और मारीशस के बीच दोहरे कराधान से बचने और कर अपवंचन रोकथाम की संशोधित संधि में यह प्रावधान किया गया है। माना जा रहा है कि इस प्रावधान का मारीशस से आने वाले निवेश प्रवाह पर गहरा असर पड़ सकता है।
इसी तरह का संशोधन सिंगापुर के साथ हुई संधि में करने पर विचार किया जा रहा है। मारीशस और सिंगापुर से भारत में सबसे ज्यादा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आता है। इन दोनों ही देशों से भारत के पूंजी बाजार में विदेशी निवेश का बड़ा हिस्सा आता है। मारीशस के साथ पिछले लंबे समय से चली आ रही बातचीत के बाद अब नई संधि हुई है। मारीशस के साथ नई संशोधित संधि के तहत एक अप्रैल 2017 के बाद दो साल तक पूंजीगत लाभ पर उस समय जारी दरों के मुकाबले आधी दर पर पूंजीगत लाभकर लगाया जाएगा। एक अप्रैल 2019 यानी दो साल बाद पूरी दर से पूंजीगत लाभ कर लागू हो जाएगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में यह कहा गया है।
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संशोधित संधि के मुताबिक रिआयती दर पर पूंजीगत लाभकर मारीशस की उसी कंपनी पर लागू होगा जो यह साबित कर देगी कि उसने इस अफ्रीकी महाद्वीप वाले देश में कम से कम 27 लाख रुपए का खर्च किया है और वह वहां सिर्फ एक मुखौटा कंपनी के तौर पर काम नहीं कर रही है। मारीशस के साथ 1983 में हुई दोहरे कराधान से बचाव की संधि (डीटीएसी) में संशोधन आज पोर्ट लुई, मारीशस में हस्ताक्षर किए गए। अब तक इस संधि में दोनों में से किसी भी देश में पूंजीगत लाभ कर लगाने का प्रावधान नहीं था। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि इसी तरह का संशोधन सिंगापुर के साथ हुई संधि में करने पर भी बातचीत चल रही है।
मारीशस के साथ हुई नई संधि के मुताबिक एक अप्रैल 2017 से पहले किए गए निवेश पर नए प्रावधानों का असर नहीं होगा। मारीशस, 13 लाख की आबादी वाला द्वीपीय देश भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 2014-15 में सबसे बड़ा स्रोत रहा है। इस दौरान 24.7 अरब डॉलर के प्रतयक्ष विदेशी निवेश में मारीशस का हिस्सा 24 फीसदी रहा। सिंगापुर का हिस्सा 21 फीसदी रहा। मारीशस के साथ अप्रैल 1983 में हुई दोहरे कराधान से बचाव की संधि को लेकर अक्सर कहा जाता रहा है कि कई भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर भुगतान से बचने और अवैध धन का इस्तेमाल करने के लिए इसका दुरपयोग करती रही हैं।
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