नई दिल्ली। राजस्व विभाग ने जीएसटीएन में डीलरों के नामांकन की समय सीमा को एक महीने बढाकर अप्रैल अंत तक कर दिया है। विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि अब तक मौजूदा करदाताओं में से केवल 60 प्रतिशत ने ही जीएसटीएन में पंजीकरण किया है। जीएसटीएन नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का आईटी आधार होगा।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने पिछले सप्ताह वस्तु व सेवा कर नेटवर्क जीएसटीएन की सूचना प्रौद्योगिकी आईटी तैयारियों और पंजीकरण में हुई प्रगति की समीक्षा की। अधिया ने बताया, अब तक वैट दाताओं में से केवल 74 प्रतिशत ने ही जीएसटीएन पोर्टल पर पंजीकरण करवाया है। इसी तरह उत्पाद व सेवा कर दाताओं में से केवल 28 प्रतिशत ने ही नये पोर्टल पर नामांकन किया है।
अधिया के अनुसार उन्होंने विभाग से पंजीकरण प्रक्रिया को पखवाड़े भर में पूरा करने को कहा है। उन्होंने कहा कि 80 लाख कर निर्धारित्री में से हो सकता है कुछ को पंजीकरण की जरूरत नहीं हो क्योंकि वे जीएसटी की 20 लाख रपये की सीमा से नीचे हों। इस समय 10 लाख रपये के कारोबार वाले वैट व सेवा कर निर्धारित्री को क्रमश: राज्य व केंद्र के यहां पंजीकरण करवाना होता है।
अधिया ने कहा, 10-20 लाख रपये के बीच कारोबार करने वाले करदाताओं को पंजीकरण नहीं करना होगा और एक अनुमान के अनुसार 80 लाख उत्पाद, सेवा कर व वैट दाताओं में से 54 लाख करदाताओं का कारोबार 20 लाख रपये से कम है। हालांकि, अगर कोई डीलर कच्चे माल पर देय कर की कटौती चाहता है तो उन्हें जीएसटीएन में पंजीकरण करवाना होगा। सरकार नई कर प्रणाली जीएसटी का कार्यान्वयन एक जुलाई से करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
राजस्व सचिव ने स्पष्ट किया है कि ऐसे डीलर जिनका सालाना कारोबार 20 लाख रुपए तक है और जो जीएसटीएन पोर्टल के साथ पंजीकृत नहीं होंगे वह एक जुलाई से जीएसटी कर प्रणाली शुरू होने के बाद कारोबार नहीं कर पाएंगे। माल पर पिछले चुकाए गएं कर पर क्रेडिट पाने के लिये उन्हें पंजीकरण कराना चाहिए।