नई दिल्ली। औद्योगिक मजदूरों के लिए मई 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल के 5.14 प्रतिशत से मामूली बढ़त के साथ 5.24 प्रतिशत हो गयी। इस वृद्धि की मुख्य वजह कुछ खाद्य वस्तुओं एवं पेट्रोलियम उत्पादों और साथ ही मोबाइल फोन की खुदरा कीमतों में आयी तेजी है। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "(मई 2021) महीने के लिए सालाना मुद्रास्फाति पिछले महीने (अप्रैल 2021) के 5.14 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने (मई 2020) के 5.10 प्रतिशत की तुलना में 5.24 प्रतिशत थी।" इसी तरह खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने 5.26 प्रतिशत थी जबकि अप्रैल 2021 में यह 4.78 प्रतिशत और मई 2020 में 5.88 प्रतिशत थी। श्रम और रोजगार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो देश के औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण 88 से ज्यादा केंद्रों में फैले 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा कीमतों के आधार पर हर महीने औद्योगिक मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) तैयार करता है। मई 2021 में पूरे भारत का सीपीआई-आईडब्ल्यू 0.5 अंक की वृद्धि के साथ 120.6 अंक रहा। इस साल अप्रैल में यह 120.1 अंक था।
वहीं दूसरी तरफ मई के महीने में देश की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़त के साथ छह महीने के उच्चतम स्तर 6.3 प्रतिशत पहुंच गयी है। महंगाई की यह दर भारतीय रिजर्व बैंक के लिए सहज स्तर से ऊंची है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
इसी महीने जारी हुए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.23 प्रतिशत थी जो मई में बढ़कर छह महीने के उच्च स्तर 6.3 प्रतिशत पर पहुंच गयी। खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही। यह पिछले महीने के 1.96 प्रतिशत से कहीं अधिक है। इससे पहले, नवंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति की उच्चतम दर 6.93 प्रतिशत रही थी। मई 2020 में थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे 3.7 प्रतिशत थी। जबकि अप्रैल 2021 में यह दहाई अंक 10.49 प्रतिशत पहुंच गयी।
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