नई दिल्ली। कृषि और ग्रामीण कामगारों के लिये खुदरा महंगाई की दर कम होकर जुलाई महीने में क्रमश: 6.58 प्रतिशत व 6.53 प्रतिशत रह गई। कुछ खाद्य पदार्थों के दाम घटने से इनमें कमी आई है। श्रम मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी। श्रम मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, सीपीआई-एएल (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- कृषि मजदूर) और सीपीआई-आरएल (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- ग्रामीण मजदूर) पर आधारित मुद्रास्फीति एक महीना पहले जून में क्रमशः 7.16 प्रतिशत और 7 प्रतिशत रही थी। बयान के अनुसार सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल के खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जुलाई 2020 में क्रमशः 7.83 प्रतिशत और 7.89 प्रतिशत दर्ज की गयी। राज्यों के बीच, कृषि मजदूरों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अधिकतम 15 अंक की वृद्धि मेघालय में और ग्रामीण मजदूरों के लिये 14 अंक की वृद्धि जम्मू कश्मीर व मेघालय (14 अंक) में हुई। इसका मुख्य कारण दूध, बकरी मांस, मछली सूखी, बीड़ी, सब्जियों, फलों और बस किराया आदि की दरों का बढ़ना है।
इसके विपरीत, कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिये सीपीआई में अधिकतम कमी त्रिपुरा में क्रमश: 8 अंक और 5 अंक की रही। यह मुख्य रूप से चावल, बकरी मांस , मछली की कीमतों में गिरावट के कारण है। बयान में कहा गया कि जुलाई 2020 में खेतिहर मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के लिये अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (आधार: 1986-87 = 100) क्रमशः तीन व चार अंक बढ़कर 1,021 और 1,028 अंक पर पहुंच गये। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, "देश में कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थिति के बावजूद सरकार द्वारा किये गये उपाय इस अवधि के दौरान मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सक्षम रहे।’’ श्रम ब्यूरो के महानिदेशक डी एस नेगी ने कहा, "सूचकांक में वृद्धि से ग्रामीण इलाकों में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लाखों श्रमिकों के वेतन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।"