नयी दिल्ली: कृषि और ग्रामीण श्रमिकों की खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई महीने में इससे पिछले महीने की तुलना में मामूली बढ़कर क्रमश: 3.92 प्रतिशत और 4.09 प्रतिशत पर पहुंच गयी। फल एवं सब्जियों, प्याज, चिकन, सरसों तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। इससे पिछले महीने यानी जून माह में मुद्रास्फीति दर कृषि और ग्रामीण कामगारों के लिये क्रमश: 3.83 प्रतिशत और 4 प्रतिशत थी।
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सीपीआई-एएल (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक) और सीपीआई-आरएल (ग्रामीण श्रमिक) पर आधारित मुद्रास्फीति दर जुलाई 2021 में क्रमश: 3.92 प्रतिशत और 4.09 प्रतिशत रही।’’ बयान के अनुसार सीपीआई पर आधारित कृषि श्रमिकों और ग्रामीण श्रमिकों की मुद्रास्फीति दर जून में क्रमश: 3.83 प्रतिशत और 4 प्रतिशत थी। जबकि एक साल पहले जुलाई 2020 में यह 6.58 प्रतिशत और 6.53 प्रतिशत थी।
इसी तरह सूचकांकों पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई 2021 में क्रमश : 2.66 प्रतिशत और 2.74 प्रतिशत रही, जो जून 2021 में 2.67 प्रतिशत और 2.86 प्रतिशत की तुलना में कम है। वही इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में यह आंकड़ा क्रमश: 7.83 प्रतिशत और 7.89 प्रतिशत था। अखिल भारतीय सीपीआई-एएल और सीपीआई-आरएल जुलाई में पिछले महीने की तुलना में चार और पांच अंक बढ़कर क्रमश: 1,061 और 1,070 अंक रहा।
कृषि श्रमिकों और ग्रामीण श्रमिकों के सामान्य सूचकांक में वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुओं की महंगाई है। मुख्य रूप से बकरी का मांस, ताजी मछली, सरसों तेल, दाल, सब्जी और फल की कीमतें बढ़ने से सूचकांक बढ़ा। कृषि श्रमिकों के मामले में तमिलनाडु 1,249 अंक के साथ सूचकांक में सबसे ऊपर है जबकि हिमाचल प्रदेश 829 अंक के साथ सबसे नीचे। ग्रामीण श्रमिकों के मामले में 1,235 अंक के साथ तमिलनाडु सूचकांक में सबसे ऊपर जबकि 868 अंक के साथ बिहार सबसे निचले स्थान पर रहा है।
कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के मामले में खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में सब ज्यादा वृद्धि पंजाब में क्रमश: 13 और 14 अंक की दर्ज की गई। यहां गेहूं का आटा, फल एवं सब्जियों और दूध, प्याज के दाम बढ़ने से सूचकांक बढ़ा। वहीं दूसरी तरफ सीपीआई में सबसे ज्यादा गिरावट तमितनाडु में क्रमश सात और छह अंक की दर्ज की गइ्र। यहां ज्वार, बरकी का मांस, मछली, प्याज, फल एवं सब्जी के दाम में गिरावट दर्ज की गई।