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Sensex की तेजी का मजबूत आधार है खुदरा निवेशक, पारदर्शिता बढ़ने से निवेश ने पकड़ी रफ्तार

पहले, खुदरा निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिये निवेश करते थे। लेकिन अब वे म्यूचुअल फंड के जरिये बाजार में निवेश तो कर ही रहे हैं, साथ ही डिमैट खातों के जरिये भी सीधे शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं।

Written by: Abhishek Shrivastava
Published on: September 24, 2021 19:35 IST
retail and small investors investing money in stock market, confidence in the Indian stock market is- India TV Paisa
Photo:BSEINDIA

retail and small investors investing money in stock market, confidence in the Indian stock market is growing

नई दिल्‍ली। देश का प्रमुख शेयर बाजार बीएसई सेंसेक्‍स पहली बार 60,000 की एतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा है। वैसे तो विदेशी और संस्‍थागत निवेशकों के इशारों पर दुनियाभर के बाजार उतरते और चढ़ते हैं। लेकिन भारत के मामले में बात कुछ अलग है। वैश्विक स्‍तर पर कमजोर रुख और कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका बने रहने के बावजूद बेंचमार्क इंडेक्‍स अपने सर्वकालिक उच्‍च स्‍तर पर पहुंचने में कामयाब हुआ है। इसके पीछे इसके 8 करोड़ खुदरा निवेशकों को मजबूत आधार और बेहतर पारदर्शिता की वजह से बाजार पर बढ़ा उनका भरोसा है।  

खुद वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण यह मानती हैं कि आज खुदरा और छोटे निवेशक शेयर बाजार में रुचि दिखा रहे हैं और निवेश कर रहे हैं। यही वजह है कि प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद देश का पूंजी बाजार निरंतर नया इतिहास रच रहा है। भारतीय शेयर बाजार को लेकर भरोसा बढ़ा है क्योंकि खुदरा और छोटे निवेशक उत्सुकता के साथ शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। पहले, खुदरा निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिये निवेश करते थे। लेकिन अब वे म्यूचुअल फंड के जरिये बाजार में निवेश तो कर ही रहे हैं, साथ ही डिमैट खातों के जरिये भी सीधे शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। हाल ही में आए कई नए आईपीओ से मिले जबरदस्‍त फायदे ने भी लोगों, खासकर युवाओं, के बीच शेयर बाजार को लेकर रुच‍ि में इजाफा किया है। सीतारमण का यह भी तर्क है कि यह जो भी हो रहा है, पारदर्शी तरीके से हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय शेयर बाजार में निवेश बढ़ रहा है।

निम्‍न ब्‍याज दर का भी है निवेश बढ़ाने में योगदान

लघु बचत योजनाओं व पारंपरिक निवेश संसाधनों पर मिलने वाला रिटर्न आज के परिदृश्‍य में बहुत कम नजर आता है। लघु बचत योजनाओं पर जहां अधिकतक 7 और 8 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न मिल रहा है, वहीं म्‍यूचुअल फंड और शेयर बाजार में रिटर्न की कोई अधिकतम सीमा सुनिश्चित नहीं है। 90 के दशक के बाद जन्‍मे लोगों के बीच लघु बचत योजनाएं और पारंपरिक निवेश संसाधन जैसे किसान विकास पत्र, राष्‍ट्रीच बचत पत्र, एफडी आदि अपनी लोकप्रियता धीरे-धीरे खो रहे हैं। इंटरनेट की पहुंच बढ़ने और वित्‍तीय क्षेत्र में नए-नए स्‍टार्टअप्‍स ने भी युवाओं को शेयर बाजार की ओर आकर्षित किया है।

अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार भी है एक वजह  

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था सतत रूप से पुनरूद्धार के रास्ते पर है। जीएसटी और प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि इसका संकेत है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैं पुनरूद्धार के संकेत साफ देख रही हूं। ये संकेत अच्छे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो जीएसटी तथा प्रत्यक्ष कराधान मामले में राजस्व संग्रह उस स्तर पर नहीं रहता, जो आज है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये छोटे संकेत नहीं हैं और न ही कोई छिटपुट संकेत हैं। ये स्पष्ट रूप से दशार्तें हैं कि अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार के रास्ते पर मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।’’

1000 से 60,000 तक पहुंचने में लगे 31 साल

सेंसेक्स ने 1,000 अंक से 60,000 अंक के एतिहासिक स्तर तक पहुंचने में 31 साल से कुछ अधिक समय लिया। मानक सूचकांक 25 जुलाई, 1990 को 1,000 अंक पर था और यह करीब 25 साल में चार मार्च, 2015 को 30,000 के स्तर पर पहुंचा। उसके बाद 30,000 से 60,000 के स्तर पर पहुंचने में उसे छह साल से थोड़ा अधिक समय लगा। सेंसेक्स में आखिरी 10,000 अंक की वृद्धि रिकार्ड गति से हुई है। बाजार इस साल जनवरी में ही 50,000 के स्तर पर पहुंचा था।

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Image Source : BSEINDIA
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सरकार के वित्‍तीय नीतियों के उदार बनाने का दिखा असर

बीएसई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक आशीष कुमार चौहान ने कहा, “सेंसेक्स आज 60,000 अंक पर पहुंच गया। यह भारत की वृद्धि की संभावना को दर्शाता है। साथ ही जिस तरीके से भारत कोविड अवधि के दौरान एक विश्व नेता के रूप उभरा है, उसे भी अभिव्यक्त करता है। इसके अलावा दुनियाभर में सरकारों ने अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा प्रसार किया और वित्तीय नीतियों को उदार बनाया, उससे भी शेयर बाजारों में गतिविधियां बढ़ी हैं।’’

107 दिन में खुले एक करोड़ डीमैट खाते

बीएसई ने छह जून से 21 सितंबर के बीच एक करोड़ पंजीकृत निवेशक खाते जोड़ने का रिकॉर्ड बनाया।  इसके साथ केवल 107 दिन में निवेशक खातों की संख्या आठ करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। इससे पहले शेयर बाजार ने छह जून को कहा था कि उसके पंजीकृत उपयोगकर्ताओं का आधार सात करोड़ को पार कर गया है। पिछले साल 23 मई से यानी 12 महीने से थोड़े अधिक समय में दो करोड़ पंजीकृत निवेशक खाते जोड़े गए।

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Image Source : BSEINDIA
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फरवरी 2008 में एक्सचेंज के पास सिर्फ एक करोड़ निवेशक खाते थे। यह जुलाई 2011 तक बढ़कर दो करोड़ हो गए। जनवरी 2014 में इसे तीन करोड़ तक ले जाने में बीएसई को लगभग तीन साल लगे, और अगस्त 2018 में यह चार करोड़ के स्तर को पार कर गया। इसने मई 2020 में पांच करोड़ का आंकड़ा पार किया, 19 जनवरी 2021 को छह करोड़ और छह जून 2021 को सात करोड़ का आंकड़ा पार किया। इसने 21 सितंबर, 2021 को आठ करोड़ के स्तर को पार कर लिया। यह सबसे तेज वृद्धि रही। केवल 107 दिन में एक करोड़ खाते जोड़े गए।  

अब क्‍या करें निवेशक

वाटरफील्ड एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी (सूचीबद्ध निवेश) नीमेश शाह ने कहा, ‘‘बाजार में शेयरों का मूल्यांकन ऊंचा है लेकिन दूसरी तरफ आर्थिक वृद्धि अनुकूल है।’’ उन्होंने कहा कि निवेशकों के लिए हमारा सुझाव है कि वे निवेश को संतुलित कर सकते हैं। वे मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों में निवेश कम कर या उससे बाहर निकलकर दीर्घकालीन स्तर पर बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं। कई मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों का मूल्यांकन उच्च स्तर पर पहुंच गया है।

कोटक बैंक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘60,000 के स्तर पर भी निवेशक मध्यम से लंबी अवधि के लिए प्रबंधन और वृद्धि के लिहाज से मजबूत कंपनियों में निवेश कर सकते हैं।’’

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