नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि डूबे कर्ज (NPA) की चिंताजनक स्थिति से निपटने का काम अभी चल रहा है। इस बारे में हाल में पारित गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) अध्यादेश के तहत अगले कुछ दिन में ऐसी कार्रवाई की जा सकती है जो नजर भी आएगी। बैंकिंग नियमन कानून, 1949 में संशोधन के जरिए यह अध्यादेश पिछले महीने जारी किया गया। इसके तहत रिजर्व बैंक (RBI) को NPA या डूबे कर्ज के मुद्दे से निपटान के लिए सशक्त किया गया है।
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इस अध्यादेश के जरिए सरकार ने RBI को यह अधिकार दिया है कि वह बैंकों के NPA की वसूली के लिए दिवाला कार्रवाई शुरू करवा सकता है। इसके साथ ही NPA संकट से निपटने के लिए और उपायों का भी वादा किया गया है। जेटली ने मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर मीडिया से बातचीत में कहा कि RBI मौजूदा व्यवस्था के तहत कदम उठा रहा है। हमने एक और कदम आगे बढ़ाया है। आने वाले दिनों में इस मोर्चे पर कुछ प्रत्यक्ष रूप से सामने आ सकता है।
NPA के ऊंचे स्तर को एक प्रमुख चुनौती बताते हुए जेटली ने कहा कि इसके निपटान को लेकर अभी कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि NPA के उच्च स्तर से बैंकिंग प्रणाली की ग्रोथ की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
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वित्त वर्ष 2016-17 की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का NPA एक लाख करोड़ रुपए बढ़कर 6.06 लाख करोड़ रुपए हो गया। मार्च 2016 के अंत तक सरकारी बैंकों का सकल NPA लगभग दोगुना होकर 5.02 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, मार्च 2015 के अंत तक यह 2.67 लाख करोड़ रुपए था।