नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से आज चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति का ऐलान कर दिया है। RBI ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की घोषणा की है। रेपो रेट घटकर अब 5.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट घटकर 5.50 प्रतिशत हो गया है। इस कटौती के बाद बैंकों पर कर्ज की दरें कम करने का दबाव बढ़ेगा, यानि आने वाले दिनों में होम और कार लोन की दरों में कमी हो सकती है।
RBI ने ब्याज दरों में कटौती के साथ वित्त वर्ष 2019-20 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान में भी कटौती की है, पहले 7.2 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान था जिसे अब घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है।
जानकारों का भी कहना है कि वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक विकास दर (GDP) पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है, जिसके चलते रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश और RBI ने दरें घटाई भी हैं। एमपीसी की पिछली दो बैठकों में भी पॉलिसी रेट में चौथाई-चौथाई फीसदी की कटौती की जा चुकी है।
World Bank ने भारत की आर्थिक वृद्धि पर जताया भरोसा, FY20 के लिए GDP वृद्धि को 7.5% पर रखा बरकरार
हालांकि, विश्व बैंक ने आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी है। विश्व बैंक के अनुसार, अगले तीन साल तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.50 प्रतिशत रह सकती है। उसने कहा कि महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे है जिससे मौद्रिक नीति सुगम रहेगी। इसके साथ ही ऋण की वृद्धि दर के मजबूत होने से निजी उपभोग एवं निवेश को फायदा होगा।
फरवरी से दो बार घटी दरें, बैंकों ने नहीं दिया फायदा
बता दें कि आरबीआई मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा आज करेगा। रिजर्व बैंक फरवरी से 2 बार में रेपो रेट में कुल मिला कर 0.50 फीसदी कटौती कर चुका है। मौजूदा समय में रेपो रेट 6 फीसदी है, केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को इसी दर पर एक दिन के लिए धन उधार देता है। नीतिगत दर में कमी के बावजूद बैंकों ने कर्ज की दर में औसतन केवल 0.05 फीसदी तक की ही कटौती की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत दर में कटौती के असर का धीमा होना हमारे इस तर्क का महत्वपूर्ण आधार है कि रिवर्ज बैंक जून में नीतिगत दरों को वर्तमान स्तर पर बनाए रखेगा।