नई दिल्ली। संसद की एक प्रमुख समिति संभवत: अगले महीने नोटबंदी के असर पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और अन्य लोगों के बयानों की समीक्षा के बाद यह रिपोर्ट दी जाएगी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के वी थॉमस की अगुवाई वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर नोटबंदी के प्रभाव की समीक्षा कर रही है।
थॉमस ने कहा, हमारी संबंधित अंशधारकों के साथ इस पर नियमित बैठकें हो रही हैं। बजट सत्र समाप्त होने से पहले हम अपनी रिपोर्ट दे देंगे। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 9 मार्च से शुरू हो रहा है। यह 12 अप्रैल तक चलेगा।
थॉमस ने कहा कि पीएसी ने रिजर्व बैंक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 के नोटों की संख्या और बैंकों में जमा कराए गए पुराने नोटों का पूरा ब्योरा देने को कहा है। उन्होंने कहा, हमने रिजर्व बैंक से पूरा आंकड़ा देने को कहा है। गवर्नर और अन्य को इस बारे में ब्योरा देना है।
थॉमस ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने अंतिम आंकड़ों के लिए कुछ और समय मांगा है। हमने उन्हें समय दिया है और कहा है कि वे जल्द से जल्द ये आंकड़े लाएं।
- वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 2 दिसंबर को संसद को बताया था कि 8 नवंबर तक 15.44 लाख करोड़ रुपए के 500 और 1,000 के नोट चलन में थे।
- ऐसी चर्चा है कि नोटबंदी से सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर प्रभावित हुई है और विभिन्न क्षेत्रों पर इसका प्रतिकूल असर हुआ है।
- हालांकि, सरकार ने इन रिपोर्टों को खारिज किया है।