नई दिल्ली। रेलीगेयर फ्रॉड मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दिल्ली में एक कोर्ट को बताया कि देनदारियों को चुकता करने के लिए 1,260 करोड़ रुपए की राशि मलविंदर सिंह की कंपनी आरएचसी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई। गुरुवार को गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपियों की रिमांड की मांग करते हुए ईओडब्ल्यू ने कहा, 'सेबी द्वारा की गई फॉरेंसिक ऑडिट में खुलासा हुआ है कि 1,260 करोड़ रुपए आरएचसी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित किए गए और बाद में म्यूचुअल फंड्स की देनदारियों को चुकता करने के लिए भुगतान कर दिया गया।'
मामले के पांच आरोपियों में दवा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर और सगे भाई शिविंदर सिंह और मलविंदर सिंह भी शामिल हैं। आईएएनएस को प्राप्त रिमांड की याचिका की एक प्रति में आगे लिखा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शिकायतकर्ता कंपनी द्वारा रिपोर्ट दाखिल की गई, जिसमें लिखा गया कि कॉर्पोरेट लोन बुक (सीएलबी) पोर्टफोलियो के तहत शीर्ष उधारीकर्ताओं के शेयरहोल्डिंग पैटर्न से लगता है कि वे एक-दूसरे से जुड़ी हुई कंपनियां हैं।
बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए गए प्राथमिक जांच के आंकड़े से खुलासा हुआ है कि उधारकर्ताओं में आपस में संबंध था, क्योंकि एक ही राशि एक उधारकर्ता से दूसरे उधारकर्ता के पास भेजी गई थी। ईओडब्ल्यू ने गुरुवार को शिविंदर सिंह, रेलीगेयर का पूर्व एमडी सुनील गोधवानी, रवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गिरफ्तार किया था, वहीं मलविंदर को उसी दिन अलग से गिरफ्तार किया था।