नई दिल्ली। फाइनेंशियल सर्विस ग्रुप रेलीगेयर एंटरप्राइजेज ने म्यूचुअल फंड बिजनेस से बाहर निकलने का फैसला किया है। कंपनी, रेलीगेयर इन्वेस्को एएमसी में अपनी 51 फीसदी कंट्रोलिंग हिस्सेदारी विदेशी पार्टनर इन्वेस्को को बेचेगी। कई विदेशी फंड हाउस भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से बाहर निकल रहे हैं। अभी हाल ही में गोल्डमैन सैक्स ने अपना म्यूचुअल फंड बिजनेस बेचा है। लेकिन भारतीय कंपनी के इस बिजनेस से बाहर निकलने के मामले बहुत कम हैं।
रेलीगेयर ने म्यूचुअल फंड बिजनेस से बाहर निकलने की कोई वजह नहीं बताई है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि प्रमोटर्स अन्य वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपनी कुछ संपत्ति बेचना चाहते हैं और इसी रणनीति का यह हिस्सा हो सकता है। भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री जहां एक ओर तेजी से विकास कर रही है, वहीं रेलीगेयर इन्वेस्को ने पिछले सालों में असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) में कोई अच्छी ग्रोथ हासिल नहीं की है।
कंपनी का औसत एयूएम सितंबर तिमाही में 21,593 करोड़ रुपए रहा है, जो 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष में 21,009 करोड़ रुपए था। इसके बीच में जून तिमाही में यह गिरकर 19,518 करोड़ रुपए हो गया था। इस सौदे की वित्तीय जानकारी दिए बगैर रेलीगेयर ने एक बयान में कहा है कि उसने एक निश्चित समझौता किया है, जिसके तहत इन्वेस्को ज्वाइंट वेंचर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 100 फीसदी करेगी। इस सौदे को नियामकीय मंजूरी लेनी होगी। ज्वाइंट वेंचर में रेलीगेयर की 51 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि इन्वेस्को की इसमें अभी 49 फीसदी हिस्सेदारी है।
इन्वेस्को के सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर और एशिया पेसीफिक हेड एंड्रेव लो ने कहा कि इस बिजनेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी लेकर भारत में उनकी जड़ें और गहरी होंगी। रेलीगेयर ग्रुप सीईओ सचिंद्र नाथ ने कहा कि इस ज्वाइंट वेंचर के मौजूदा सीईओ सौरभ नानावटी आगे भी सीईओ बने रहेंगे और मौजूदा सीनियर मैनेजमेंट टीम भी फंड हाउस के साथ जुड़ी रहेगी।