मुंबई। देश में उपयोग में लाई जा रही कोरोना की वैक्सीन कोविशील्ड ट्रेडमार्क विवाद में फंस गई है। फार्मा कंपनी क्यूटिस बायोटेक ने बॉम्बे हाइकोर्ट में कोविशील्ड ट्रेडमार्क होने का दावा किया है। हालांकि कोरोना जैसी गंभीर महामारी से सुरक्षा देने वाली इस वैक्सीन को कोविशील्ड नाम का इस्तेमाल करने पर फिलहाल कोर्ट से राहत मिल गई है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआईआई) को कोविड-19 के उपचार के लिए बने उसके टीके को 'कोविशील्ड' नाम का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने से मना कर दिया। न्यायालय ने कहा कि ऐसा कोई आदेश, वैक्सीन की व्यवस्था -प्रशासन कार्यक्रम में भ्रम और व्यवधान पैदा करेगा।
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न्यायमूर्ति नितिन जामदार और सी वी भडांग की एक खंडपीठ ने फार्मास्युटिकल कंपनी क्यूटिस बायोटेक द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। इस कंपनी का कहना है कि 'कोविशील्ड' नाम के ट्रेडमार्क पर उसका दावा है। उसने अदालत से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को उसके कोविड-19 वैक्सीन के लिये इस नाम का उपयोग करने से रोकने का निर्देश देने का आग्रह किया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अब यह व्यापक रूप से ज्ञात है कि कोविशील्ड कोरोनो वायरस का मुकाबला करने के लिए एक टीका है।
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आदेश में कहा गया कि सीरम इंस्टीट्यूट को अपने टीके के लिए 'कोविशील्ड' नाम का उपयोग करने से अस्थाई रोक के निर्देश से वैक्सीन प्रशासन कार्यक्रम में भ्रम और व्यवधान पैदा होगा। अदालत ने कहा कि केन्द्र सरकार पहले ही बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत कर चुकी है। 16 मार्च तक केन्द्र को 6.60 करोड़ कोविशील्ड की आपूर्ति की जा चुकी है जबकि 5.90 करोड़ दवा खुराक 72 देशों को भेजी जा चुकी है।