नयी दिल्ली। सरकार के वाहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देने के साथ ही मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अपनी जामनगर रिफाइनरी में जरूरी बदलाव करने की योजना पर काम कर रही है ताकि उसे भविष्य के लिये तैयार किया जा सके। कंपनी जामनगर स्थित अपने रिफाइनरी संयंत्र में अब केवल विमान ईंधन और पेट्रो-रसायन का ही उत्पादन करेगी। कंपनी अपनी नयी 'तेल से रसायन' की ओर रणनीति के तहत ऐसा करने जा रही है। कंपनी ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।
कंपनी का कहना है कि इससे जामनगर रिफाइनरी में वर्तमान में तैयार हो रहे ज्यादातर ईंधनों का उत्पादन बंद हो जाएगा और इनकी जगह अधिक मूल्य वाले उत्पादों पर ध्यान दिया जाएगा। कंपनी जामनगर संयंत्र को भविष्य के लिये तैयार कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर दुनिया भर में जोर दिये जाने से ईंधन की मांग के स्वरूप में तेजी से बदलाव आने जा रहा है। कंपनी इसे ध्यान में रखते हुए बदलाव कर रही है। संयंत्र अभी दुनिया भर से कच्चा तेल मंगाती है और उससे पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, विमानन ईंधन, एलपीजी, नाफ्था एवं अन्य मूल्यवर्धित ईंधन बनाती है। इनमें से कुछ उत्पादों का इस्तेमाल ऐसे पेट्रोरसायन बनाने में होता है जिनका इस्तेमाल प्लास्टिक एवं अन्य उत्पाद तैयार करने में होता है। कंपनी अब ऐसी रणनीति बना रही है जिसके तहत कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोरसायन और विमानन ईंधन बनाया जाएगा।
कंपनी ने रिपोर्ट में कहा है कि जामनगर रिफाइनरी को लेकर 'तेल से रसायन' रणनीति का उद्देश्य उन्नत तरीके से प्रबंधन है जो मूल्य के हिसाब से संयंत्र के उत्पादों को बेहतर करेंगे। कंपनी का लक्ष्य संयंत्र में 70 प्रतिशत कच्चा तेल से ओलेफिन और एरोमैटिक्स आदि बनाना है। कंपनी ने मल्टीजोन कैटलिटिक क्रैकिंग प्रक्रिया विकसित की है जो एक ही बार में अधिकांश फीडस्टॉक (गैस) को अधिक मूल्य वाले प्रॉपिलिन और एथिलिन में बदल देता है।
कंपनी ने कहा कि कच्चा तेल से कम कीमत वाले परिशोधित उत्पादों को सबसे पहले हटाया जाएगा। इसके बाद पेट्रोल, अल्काइलेट और डीजल का उत्पादन बंद किया जाएगा। इस रणनीति को लेकर कंपनी पहले ही अरबों डॉलर की परियोजनाएं शुरू कर चुकी हैं या शुरू करने की प्रक्रिया में है। इसने दुनिया का सबसे पहला रिफाइनरी ऑफ-गैस क्रैकर तैयार किया है और पेट्रोरसायन का उत्पादन करने के लिये अमेरिका से इथेन का आयात कर रही है।