नई दिल्ली। टेलीकॉम सेक्टर में एक बार फिर से तूतू-मैंमैं शुरू हो गई है। इस बार Reliance Jio ने अन्य बड़ी टेलीकॉम कंपनी Bhart Airtel, Idea और Vodafone पर बड़ा आरोप लगाया है। अंग्रेजी बिजनेस न्यूजपेपर इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर में कहा गया है कि जियो ने कंपनियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये सभी अपनी हरकतों के कारण वित्तीय परेशानी में हैं, न कि नई कंपनी (जियो) के टेलिकॉम मार्केट में एंट्री करने से। यह भी पढ़े: खत्म होगा सस्ती कॉल और सस्ते डेटा का दौर, टेलीकॉम कंपनियां कर रही है कीमतें बढ़ाने की तैयारी!
जियो ने लगाया सांठगांठ का आरोप
आईएमजी के मेंबर्स से जियो के एग्जिक्यूटिव्स ने कहा, इन तीन बड़ी कंपनियों की सांठगांठ से छोटी कंपनियां प्रभावित हुई है। इन कंपनियों ने फिर हमारे खिलाफ गोलबंदी की, जिसे दो रेग्युलेटर्स सीसीआई और ट्राई ने भी साबित किया है। जियो ने आरोप लगाया कि एयरटेल और आइडिया जैसी कंपनियों के प्राइसेज एक जैसे पैटर्न पर हैं, जिससे उनके मिलजुलकर काम करने का संकेत मिलता है। यह भी पढ़े: रिलायंस Jio का 4G VoLTE फीचर फोन दो वैरिएंट में होगा लॉन्च, Wi-Fi और GPS से होगा लैस
अंतर मंत्रालय समूह के साथ 45 मिनट की मीटिंग के बाद जियो के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा
यह परेशानी तो खुद उनकी खड़ी की हुई है। उन्होंने बहुत ज्यादा कर्ज लेकर कारोबार किया, इक्विटी इन्वेस्टमेंट नहीं किया और नई टेकनॉलजी में निवेश नहीं किया। इसके कारण न्यू जेनरेशन सर्विसेज से आमदनी हासिल करने की उनकी क्षमता सीमित हो गई।
जियो ने दिया सुझाव
रिलायंस जियो ने भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर पर सांठगांठ करने का आरोप लगाया है। जियो ने कहा कि फाइनेंशियल मुश्किलों को दूर करने के लिए सरकारी मदद मांगने के बजाय इन कंपनियों को अपने कारोबार में 1.25 लाख रुपए तक का इक्विटी इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। यह भी पढ़े: Idea ने की KM बिड़ला की सैलरी में भारी कटौती, पैकेज 13 करोड़ से घटाकर 3 लाख रुपए किया
मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने कर्ज से लदे टेलिकॉम सेक्टर की वित्तीय सेहत पर गौर करने के लिए बनाए गए 8 सदस्यों के समूह से यह भी कहा कि वह भी टेलिकॉम सर्विसेज पर जीएसटी को घटाकर 12 फीसदी करने के पक्ष में है, इसमें लाइसेंस फीस को शामिल करना चाहती है, स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज को घटाकर फ्लैट 1 पर्सेंट करने और यूनिवर्सल सर्विसेलज ऑब्लिगेशन फंड को खत्म किए जाने के पक्ष में है, लेकिन उसका मानना है कि वित्तीय परेशानियों को दूर करने के लिए व्यापक नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है क्योंकि यह परेशानीृ पहले से मौजूद कंपनियों की अपनी हरकतों के कारण है, जिन्होंने अपना कारोबार कर्ज लेकर बढ़ाया।
एयरटेल, आइडिया और वोडफोन पर बढ़ रहा है कर्ज का बोझ
एयरटेल, आइडिया और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियों के लिए डेट टु इक्विटी रेशियो ग्लोबल कंपनियों के ऐसे आंकड़े के 1.1 गुने से ज्यादा है। मार्च के अंत में एयरटेल पर लगभग 92,000 करोड़ रुपए का कर्ज था, वहीं वोडाफोन पर लगभग 63,000 करोड़ और आइडिया पर 50,072 करोड़ रुपए का कर्ज था।आईएमजी एसबीआई, पीएनबी और एक्सिस बैंक सहित सरकारी बैंकों के अधिकारियों के साथ बुधवार को बैठक करेगा। स्ट्रेस्ड एसेट्स पर अपनी सिफारिशें देने के लिए आईएमजी के पास तीन महीने की डेडलाइन है। यह भी पढ़े: Jio ने Bharti पर लगाया एक और आरोप, कहा- कश्मीर में प्रीपेड कनेक्शन पर इनकमिंग कॉल दे रही है Airtel