नई दिल्ली। रिलायंस इन्फ्राटेल का अपने अल्पांश शेयरधारक एचएसबीसी डेजी इंवेस्टमेंट्स (मॉरीशस) के साथ समझौता हो गया है। इससे कंपनी के दूरसंचार टावर कारोबार की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। इस राशि का इस्तेमाल कंपनी अपने बैंक कर्ज को चुकाने के लिए करेगी। रिलायंस इन्फ्राटेल का एचएसबीसी डेजी इंवेस्टमेंट्स (मॉरीशस) के साथ बकाये का भुगतान नहीं करने की वजह से विवाद था। इस घटनाक्रम के बीच अनिल अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) में अपनी याचिका को वापस ले लिया है। कंपनी ने इस याचिका में अपनी टावर और फाइबर संपत्तियों की बिक्री की अनुमति मांगी थी।
इस कदम से रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए रिलायंस इन्फ्राटेल के टावर और फाइबर संपत्तियों की बिक्री का रास्ता खुल गया है। सुनवाई के दौरान आरकॉम की अनुषंगी के अधिवक्ता ने एनसीएलएटी को सूचित किया कि कंपनी का अपने अल्पांश शेयरधारक एचएसबीसी डेजी मॉरीशस के साथ समझौता हो गया है। एचएसबीसी डेजी की कंपनी में 4.26 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इसके बाद एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली पीठ ने कंपनी को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। पीठ ने कहा कि समझौते की शर्तों के तहत पक्षों को अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दी जाती है। दोनों अपीलों का निस्तारण किया जाता है।
आरकॉम समूह की कंपनी की याचिका को एनसीएलएटी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई का भी समर्थन था। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने कंपनी के टावर और फाइबर कारोबार की बिक्री पर स्थगन दे दिया था। रिलायंस इन्फ्राटेल ने इसे एनसीएलएटी में चुनौती दी थी।