नई दिल्ली। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने मंगलवार को कहा कि कंपनी चालू वित्त वर्ष में पूरी तरह कर्ज मुक्त हो जाएगी। आरइंफ्रा पर इस समय 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है और कंपनी कर्ज को कम करने के लिए अपनी परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण की दिशा में काम कर रही है। अंबानी ने एक ऑनलाइन मंच के जरिए कंपनी के शेयरधारकों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आरइंफ्रा इस साल ऋण-मुक्त कंपनी बन जाएगी।’’
कंपनी ने 2018 में अपना मुंबई स्थित ऊर्जा कारोबार अडाणी ट्रांसमिशन को लगभग 18,800 करोड़ रुपये में बेच दिया था, जिससे उसके कर्ज में लगभग 7,500 करोड़ रुपये की कमी हुई। कंपनी दिल्ली-आगरा टोल रोड को सिंगापुर स्थित क्यूब हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर को 3,600 करोड़ रुपये में बेचने की प्रक्रिया में है। अंबानी ने आगे कहा कि आरइंफ्रा को लगभग 60,000 करोड़ पाने हैं, जो विनियामक और मध्यस्थता मामलों में 5-10 साल से अटके हुए हैं।
इसके साथ ही अनिल अंबानी ने कहा कि रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवर्तकों ने संबंधित कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का फैसला किया है। पिछले सप्ताह शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने एक तरजीही आवंटन के माध्यम से प्रवर्तकों को अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक बढ़ाने की इजाजत दी थी। इस कदम का मकसद निवेशकों के विश्वास को बढ़ाना है क्योंकि प्रवर्तकों द्वारा अधिक शेयर खरीदना, शेयरधारकों के लिए एक अच्छा संकेत है। प्रवर्तकों की हिस्सेदारी मार्च 2020 तक आरइंफ्रा में 14.7 प्रतिशत और आरपावर में 19.29 प्रतिशत थी। अंबानी ने दोनों कंपनियों के शेयरधारकों अलग-अलग वार्षिक बैठकों के दौरान बताया कि प्रवर्तक समय-समय पर नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगे। हालांकि, उन्होंने प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना के बारे में विस्तार से नहीं बताया।
वहीं उन्होने जानकारी दी कि चीन के 3 बैंकों से आरकॉम द्वारा की गई उधारी के लिए कोई व्यक्तिगत गारंटी नहीं दी गई है। ब्रिटेन की एक अदालत ने अनिल अंबानी को तीनों कर्जदाताओं को करीब 72 करोड़ डॉलर का भुगतान करने का निर्देश दिया है। उन्होने कहा कि एसबीआई और चीन के बैंकों के मामले में उधार एक कंपनी के तौर पर लिए गए हैं और ये व्यक्तिगत नहीं हैं।