नई दिल्ली। रिलांयस इंडस्ट्रीज अपने तेजी से बढ़ रहे दूरसंचार कारोबार जियो और अपने खुदरा कारोबार का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ला सकती है। बर्नस्टीन रिसर्च ने बुधवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि इससे कंपनी के शेयरधारकों के लिए अपनी संपत्ति बाजार में भुनाने का अवसर मिलेगा। हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी डिजिटल कारोबार इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स में 24.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 22.3 अरब डॉलर की राशि जुटायी है। साथ ही राइट्स इश्यू से भी कंपनी ने पैसे जुटाए हैं। इसके बाद कंपनी पर शुद्ध ऋण भार शून्य हो गया है। कंपनी की दूरसंचार इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स का ही हिस्सा है।
बर्नस्टीन रिसर्च ने अपने विश्लेषण में कहा कि जियो में 24.7 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने और राइट्स इश्यू के बाद उसे उम्मीद है कि अगले तीन से चार साल में कंपनी अपने दूरसंचार कारोबार और खुदरा कारोबार का आईपीओ लाकर इन्हें अलग से स्थापित करेगी। इससे कंपनी के शेयरधारकों को सम्पत्ति को भुनाने का अवसर मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस के बही खाते देखने पर पता चलता है कि इन लेनदेन के बाद उसकी वित्तीय हालत बेहतर हुई है। इसके अलावा रिलायंस के सऊदी अरामको के साथ हुए 15 अरब डॉलर के समझौते और ताजा नकदी प्रवाही से उसका कर्ज आने वाले वर्षों में और कम हो सकता है। कंपनी अपने तेल और पेट्रोकेमिकल कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी 75 अरब डॉलर में बेचने के लिए अरामको के साथ बातचीत कर रखी है। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी इस नकदी के इस्तेमाल से अपने बहीखातों को और दुरुस्त कर सकती है और अपनी देनदारियों को कम कर सकती है। इसमें देरी से भुगतान और प्रावधान करके रखी गयी राशि शामिल है जो करीब-करीब 50,000 करोड़ रुपये के बराबर है।