नई दिल्ली। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेंस 25 औद्योगिक लाइसेंस के साथ निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनी के रूप में उभरी है, जिसके पास रक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या में परमिट हैं। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की सब्सिडियरी ने पिछले सप्ताह 15 औद्योगिक लाइसेंस प्राप्त किए। ये लाइसेंस भारी हथियार, सशस्त्र वाहन, गोला-बारूद, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, यूएवी तथा निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली जैसे विभिन्न प्रकार के उच्च प्रौद्योगिकी वाले उपकरण बनाने के लिए हैं। रिलायंस के पास 10 लाइसेंस पहले से थे।
औद्योगिक सूत्रों ने बताया कि कंपनी को जो 15 नए लाइसेंस मिले हैं, उसमें 10 जमीनी प्रणाली, तीन नौसेना से जुड़ी प्रणाली तथा शेष दो नई प्रौद्योगिकी से संबद्ध हैं और ये लाइसेंस रक्षा मामले में विभिन्न क्षेत्रों से संबद्ध हैं। रक्षा क्षेत्र में एक नई कंपनी रिलायंस इस क्षेत्र में ऑर्डर हासिल करने को लेकर टाटा, एलएंडटी, बाबा कल्याणी समूह, महिंद्रा समेत अन्य के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी।
सुजलॉन ने 2015-16 में 900 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट चालू किए
पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने वाली कंपनी सुजलॉन ने वित्त वर्ष 2015-16 में 900 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाएं चालू की। इसमें से 520 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही में चालू हुईं। इससे पूर्व 2014-15 में 442 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं चालू हुई थी।
घरेलू बाजार में कुल मिलाकर 36 फीसदी हिस्सेदारी और आठ राज्यों में उपस्थिति के साथ कंपनी अग्रणी स्थिति बनाए हुए है। कंपनी ने आलोच्य अवधि में स्वतंत्र बिजली उत्पादकों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों तथा लघु एवं मझोले उद्यमों समेत विभिन्न ग्राहकों के लिए ये परियोजनाएं लगाई हैं। वित्त वर्ष 2015-16 में 900 मेगावाट क्षमता की स्थापना के साथ सुजलॉन की वैश्विक स्तर पर कुल उत्पादन क्षमता 15.50 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) हो गई। इसमें भारत में स्थापित क्षमता 9.50 गीगावाट है।