नई दिल्ली। संगठित क्षेत्र में श्रमशक्ति की बढ़ती भागीदारी से नियामकीय बदलाव निर्णायक हो गए हैं। यदि कुछ मुख्य सुधार किए जाएं तो संगठित रोजगार की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है और रोजगार के एक करोड़ नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं। रोजगार संबंधी सेवाएं देने वाली कंपनी टीमलीज सर्विसेज ने यह बात कही है। कंपनी के अनुसार, संगठित क्षेत्र में श्रमशक्ति की भागीदारी बढ़ाने और कारोबार सुगमता को बेहतर करने के लिए नियामकीय व्यवस्था में बदलाव बेहद जरूरी है।
कंपनी की उपाध्यक्ष सोनल अरोड़ा ने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण लेकिन प्रभावी नियामकीय सुधार से कुल रोजगार में संगठित रोजगार की हिस्सेदारी मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत तक हो सकती है तथा रोजगार के एक करोड़ नए अवसर सृजित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि 44 श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में एकीकृत करना और विशिष्ट कंपनी संख्या (यूईएन) उन शीर्ष 10 नियामकीय सुधारों में से हैं जो कारोबार सुगमता तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अन्य सुधारों में कर्मचारियों के लिए वेतन चयन की सुविधा शामिल है। इसके तहत कर्मचारियों को इस बात का विकल्प होना चाहिए कि वे पेंशन निधि में 12 प्रतिशत योगदान देना चाहते हैं या नहीं। उनके पास ईएसआईसी और निजी बीमा चुनने में भी विकल्प की सुविधा होनी चाहिए।
कंपनी ने श्रम सुविधा पोर्टल को पीपीसी (पेपरलेस, प्रजेंसलेस, कैशलेस) बनाने की भी बात कही। अन्य सुधारों में कंपनी संशोधन अधिनियम 2016, छोटा कारखाना अधिनियम, संविदा श्रमिक एवं नियमन अधिनियम 1970 में संशोधन, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, श्रम संगठन अधिनियम 1926 में संशोधन तथा मॉडल दुकानें एवं प्रतिष्ठान अधिनियम पर अमल शामिल हैं।