नयी दिल्ली। दूरसंचार नियामक (ट्राई/TRAI) वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल पर लगाए गए अपने जुर्माने को संशोधित करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि वह ट्राई के नियमों से बंधा हुआ है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही।
हाल ही में, ट्राई ने अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए दूरसंचार विभाग को बताया था कि वह इस मामले में 'आगे कुछ भी टिप्पणी नहीं कर सकता है' और अब इस मामले में अंतिम फैसला केंद्र को लेना है।
ट्राई अधिकारी ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, इस मामले में किसी तरह के संशोधन या बदलाव की गुंजाइश नहीं है। अधिकारी ने नाम गुप्त रखते हुए बताया कि ट्राई ने अक्टूबर 2016 में तीन दूरसंचार कंपनियों पर शुल्क लगाने की सिफारिश की थी। इन सिफारिशों को दूरसंचार विभाग ने पांच अप्रैल 2017 को फिर से विचार के लिए वापस भेजा था। जिस पर ट्राई ने 24 मई 2017 को अपने विचार सरकार को भेज दिये।
इसलिए पूर्व में इस संदर्भ में सुझाव देने के बाद अब इस मामले में अंतिम फैसला केंद्र को लेना है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ट्राई जुर्माने में बदलाव करने में सक्षम नहीं है क्योंकि उसके हाथ अधिनियम के प्रावधानों से बंधे हुए हैं।
ट्राई ने अक्टूबर 2016 में रिलायंस जियो को कथित तौर पर इंटरकनेक्टिविटी देने से मना करने पर भारती एयरटेल और वोडाफोन इंडिया में से हरेक पर 1,050 करोड़ रुपये जबकि आइडिया सेल्युलर पर 950 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। अब वोडाफोन और आइडिया ने अपने कारोबार का विलय कर दिया है तो वोडाफोन आइडिया को दोनों कंपनियों के जुर्माने का बोझ उठाना पड़ेगा।
डिजिटल संचार आयोग ने जियो को प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्शन नहीं देने पर एयरटेल और वोडाफोन पर लगाए गए जुर्माने को पिछले महीने मंजूरी दे दी थी। हालांकि , दूरसंचार क्षेत्र की वित्तीय स्थिति को देखते हुए आयोग ने जुर्माने को संशोधित करने पर ट्राई से विचार मांगा है।