नई दिल्ली: वर्ल्ड बैंक की 2014 में आई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत 189 देशों की लिस्ट में से 142 नंबर पर था। भारत में किसी भी बिजनेसमैन को जिस सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है वो है नई कंपनी रजिस्टर कराने में लगने वाला समय। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में भारत ने बहुत सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिसकी वजह से 2015 की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में 12 स्पॉट का सुधार आया है। पिछले साल फोर्ब्स ने भारत को बिजनेस फ्रेंडली देशों की सूची में 95वां स्थान दिया था।
अपने स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया प्रोग्राम में प्रधानमंत्री मोदी ने सुनिश्चित किया था कि सरकार नई कंपनी को रजिस्टर कराने में लगने वाले समय को घटाकर कम करेगी। ऐसा लगता है कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स इस बार सही रास्ते पर चल रही है।
इस जनवरी में एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया था, जिसका मुख्य काम नई कंपनी को रजिस्टर कराने में लग रहे समय को कम करने का था। पहले किसी कंपनी के नाम को अप्रूव कराने में 2 से 5 दिन लगते थे और उसके बाद स्टैंप ड्यूटी के जरिये भुगतान और अन्य कामों में 7 दिन तक का समय लग जाता था। पायलट प्रोजेक्ट के दौरान तकरीबन 14,000 नई कंपनी बनी और इसमें से 70 फीसदी का केवल एक दिन में पूरा काम कर दिया गया। शेष 30 फीसदी में नाम के चयन को लेकर देरी हो रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के दौरान कई नई कंपनियां रजिस्टर हुईं और 24 घंटे के भीतर उनका रजिस्ट्रेशन कर दिया गया। सिस्टम के संतुलित होने से प्रक्रिया भी आसान हो गई। सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त है कि भारत में रजिस्टर होने वाली हर एक नई कंपनी 24 घंटे में बिजनेस करने के काबिल हो जाएगी।
क्या बदल रहा है?
सबसे पहले मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स ने रजिस्ट्रेशन को अप्रूव करने के लिए एक नया सिस्टम ऑटोमेट किया है। यह हरियाणा के मानेसर में स्थित है। इससे पहले नए व्यवसायियों को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (आरओसी) से अनुमती लेनी पड़ती थी। इसके अलावा फुली ऑटोमेटिड प्रोसेस की मदद से भारत में नई कंपनी को रजिस्टर्ड करने में लगने वाले स्टेप्स 39 से घटकर 26 रह गए हैं।
इस ऑटोमेटिड प्रोसेस की मदद से सरकार प्रक्रिया को और आसान बनाने का प्रयास कर रही है ताकि व्यवसायी बिना किसी दिक्कत के अपनी नई कंपनी की शुरुआत कर सकें।
और क्या किया जा रहा है?
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स इंफोसिस के एक्सपर्ट्स के साथ एक नए मोड्यूल पर काम कर रही है, जिसके बाद नई कंपनी को रजिस्टर्ड कराने के लिए प्रोसिजर में लगने वाले स्टेप्स कम को जाएंगे। जैसे कि जून में मिनिस्ट्री एक नया फॉर्म जारी करेगी, जिससे बिना नाम के भी नई कंपनी के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले स्टेप्स और कम कर दिए जाएंगे। एक विशेष एमओयू जनरेट किया जाएगा, जिसके बाद नई कंपनी का निर्माण किया जा सकेगा।
ध्यान दें कि पिछले साल मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स ने नया फॉर्म जारी किया था, जिसने नए बिजनेस को सम्मिलित करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इसके अलावा इंफोसिस और मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के अधिकारी नियम, पैनेल्टी और फाइन के प्रोसिजर को भी आसान करने का प्रयास कर रहा है। शायद सेंट्रलाइज्ड सिस्टम जनरेट किया जाएगा जिससे ज्यादा समय लगने वाले ऑपरेशन्स पर ध्यान दिया जाएगा और व्यवसायियों को कानूनी कागजात के कामों से दूर रखा जाएगा।
इन नए रिफॉर्मस के आने के बाद, भारतीय व्यवसायी देश में अपना बिजनेस आसानी से शुरू कर पाएंगे। सरल लेबर नियम और सहज रजिस्ट्रेशन नियमों से भारत में उद्यमिता के क्षेत्र में एक नई क्रांति आ सकती है।
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