नई दिल्ली। देश में फल-सब्जियों के लिए रेफ्रिजरेटेड परिवहन व्यवस्था एवं अन्य ढांचागत सुविधा से भारी मात्रा में इनकी बर्बादी की रोक थाम के साथ इनकी मंहगाई पर भी ब्रेक लगाया जा सकता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में सालाना 1,50,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है। लॉजिस्टिक कंपनी रीविगो की रिपोर्ट के अनुसार, इतना ही नहीं, इससे किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य दिलाया जा सकता है। साथ ही उपभोक्ताओं को भी उनके हिसाब से अच्छे मूल्य पर बेहतर उत्पाद उपलब्ध कराने में बड़ी मदद मिलेगी।
- रिपोर्ट के अनुसार 5,00,000 करोड़ रुपए फल-सब्जी बाजार में अकुशल परिवहन साधनों से बड़ी मात्रा में फसलों की बर्बादी होती है।
- ऐसे में परिवहन व्यवस्था को दुरूस्त कर अगर रेफ्रिजरेटेड ट्रकों का उपयोग किया जाए तो हम कुल बर्बादी में 20 से 40 फीसदी तक की कमी ला सकते हैं।
- फल एवं सब्जी के उत्पादन में भारत अग्रणी देश है।
- दुनिया में कुल उत्पादित सब्जी में इसका योगदान 14 प्रतिशत है।
- पर समुचित शीत श्रृंखला नेटवर्क, बेहतर परिवहन व्यवस्था का अभाव एवं अन्य ढांचागत सुविधा में कमी से देश में करीब एक तिहाई फल एवं सब्जी बर्बाद हो जाती हैं।
रीविगो के शीत श्रृंखला, औषधि एवं एफएमसीजी (रोजमर्रा के उपयोग के सामान) क्षेत्र के कारोबार के प्रभारी संबित सत्पथी ने कहा, रेफ्रिजरेटेड परिवहन व्यवस्था के जरिS ढुलाई के लाजिस्टिक साधनों में सुधार लाया जाता है तो देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1,50,000 करोड़ रुपए का इजाफा किया जा सकता है। इतना ही नहीं इससे फल और सब्जी की कीमतों में एक तिहाई तक की कमी आएगी और अंतत: ग्राहकों को कीमत और अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद के मामले में लाभ होगा।
- संबित सत्पथी ने कहा, फल-सब्जियों की क्षति रकने से इनकी महंगाई पर भी अंकुश लगेगा।
- रेफ्रिजरेटेड परिवहन की सुविधा न होने से अधिकतर ग्राहक खास खास क्षेत्रों में उगाए जाने वाले फल एवं सब्जी के उपभोग से वंचित रह जाते हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार देश में फल एवं सब्जियों की ढुलाई में करीब चार लाख ट्रक शामिल हैं जिसमें से केवल 500 रेफ्रिजरेटेड ट्रक ही बाजार में कार्यरत हैं।
- कंपनी के अनुसार देश को एक से दो लाख रेफ्रिजरेटेड ट्रक की जरूरत है तभी कृषकों से लेकर व्यापारी, ग्राहक एवं अन्य संबंधित पक्षों को लाभ होगा।
सत्यपति ने कहा, हमें पूरे देश में फल एवं सब्जी बाजारों के लिए स्मार्ट परिवहन व्यवस्था की जरूरत है। इससे फल एवं सब्जी की कमी से जो अचानक दाम बढ़ते हैं, उस पर अंकुश लगेगा। साथ ही विपरीत हालात में किसानों को जो उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है, उस पर भी विराम लगेगा। इससे हजारों व्यापारियों को भी लाभ होगा जो आपूर्ति श्रृंखला की अहम कड़ी हैं।